“एक राष्ट्र एक जन” पुस्तक के अनुसार
“एक राष्ट्र एक जन” पुस्तक के अनुसार
महाराजा अग्रसेनः संक्षिप्त जीवन-परिचय
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महाराजा अग्रसेन प्राचीन भारत के महान शासक थे। 5000 साल पहले आपने अग्रोहा राज्य की स्थापना की तथा यह बहुत सुंदर और समृद्ध राज्य था। यहाँ पर कोई निर्धन नहीं था। राज्य- व्यवस्था के अनुसार अगर कोई व्यक्ति दरिद्र हो जाता था तो उसको एक लाख रुपया राजकोष से दिया जाता था । इसे “एक ईंट एक रुपए ” के सिद्धांत के द्वारा जाना जाता है , जिसमें सर्व के सहयोग से सुखमय समाज की स्थापना राज्य- व्यवस्था के अंतर्गत की जाती है। महाराजा अग्रसेन ने एक ईंट एक रुपए के जिस सिद्धांत की स्थापना की, उसे उनके पुत्र राजा विभु ने अपने पिता के पद चिन्हों पर चलते हुए आगे बढ़ाया था। “एक राष्ट्र एक जन” पुस्तक में इस सिद्धांत का परिचय इस प्रकार मिलता है:-
विभु ने शासन किया पिता का यश वैभव खिलता था
जो दरिद्र हो गया कुटुम्बी एक लाख मिलता था
(प्रष्ठ 28)
अग्रोहा के सौंदर्य का वर्णन इस प्रकार मिलता है :-
यह अग्रोक नगर स्थापित अग्रसेन की रचना
पुण्यभूमि यह द्वापर युग का अंत मनोहर घटना
( पृष्ठ 25 )
स्वर्ण रत्न से भरा नगर हाथी घोड़ों को पाता
यज्ञों से परिपूर्ण इंद्र की अमरावती कहाता
महालक्ष्मी का शुभ मंदिर नगर मध्य बनवाया
धर्मशील था राजा नित पूजा का नियम बनाया
(प्रष्ठ 26)
महाराजा अग्रसेन ने अपने राज्य में “एक राष्ट्र एक जन ” के विचार को स्थापित किया। अट्ठारह गोत्रों द्वारा एक नई सामाजिक संरचना को अस्तित्व में लाने का श्रेय महाराजा अग्रसेन को जाता है । इन अट्ठारह गोत्रों में आपस में किसी प्रकार का कोई भी भेद नहीं है तथा सामूहिक रूप से यह अग्रवाल संबोधन से जाने जाते हैं ।
18 गोत्रों की संरचना के साथ-साथ 18 यज्ञ महाराजा अग्रसेन ने किए थे । इन यज्ञों के करते समय 17 यज्ञ तो परंपरागत रीति से संपन्न हो गए किंतु अट्ठारहवें यज्ञ में महाराजा अग्रसेन ने पशु- बलि का विरोध किया और बिना पशु की बलि दिए यज्ञ की नई परिपाटी को आरंभ किया । इस मार्ग पर चलते हुए साढ़े सत्रह यज्ञ तथा साढ़े सत्रह गोत्र माने जाने की चुनौती को उन्होंने स्वीकार किया:-
साढ़े सत्रह यज्ञों से मधुसूदन तुष्ट किए थे
राजा ने इनमें घोड़े बलि के ही लिए दिए थे
तभी प्रेरणा हुई माँस ने घोड़े के कह डाला
मिलता है क्या स्वर्ग माँस से केवल घोड़े वाला
माँस जीव का जो जन खाते सदा पापमय जीते
कहाँ स्वर्ग मिलता है उनको जो मदिरा को पीते
( पृष्ठ 26)
इस प्रकार महाराजा अग्रसेन समता पर आधारित समाज के निर्माता, आर्थिक असमानता को दूर करने के पक्षधर तथा अहिंसा- व्रत को धारण करने वाले एक महापुरुष थे। अपने उच्च आदर्शों के कारण महाराजा अग्रसेन न केवल अग्रवाल अपितु संपूर्ण मानव जाति के लिए पूज्य हैं। अग्रवालों के तो आप प्रवर्तक और पितामह हैं तथा परिवार के संस्थापक के रूप में आपका विशेष आदर पूर्ण स्थान है ।
साहित्यपीडिया पब्लिशिंग, नोएडा ( भारत ) द्वारा वर्ष 2019 में प्रकाशित रवि प्रकाश की पुस्तक “एक राष्ट्र एक जन” अमेजन और फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध है। पुस्तक को लोकसभा अध्यक्ष माननीय श्री ओम बिरला का प्रशंसा-पत्र प्राप्त हुआ है।
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लेखक : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451