एक राखी बाँधना स्वयं की कलाई में
एक राखी बाँधना स्वयं की कलाई में
करना प्रण स्वयं के अस्तित्व रक्षणार्थ
अपने सपनों, उम्मीदों व जीवन को
देना पंख ऊँची उड़ानों के।
सीखना स्वयं के लिए खड़े होना
स्वयं को भी महत्व देना।
और हाँ तुम नहीं हो कोई वस्तु
जो हमेशा दिखे सजी, संवरी ही
तुम जैसी हो अच्छी हो, समझ
अपनी मौलिकता में जीना।
तुम प्रेम की सजीवता हो
किन्तु प्रेम में समर्पण करते हुए
स्वयं की गरिमा, मर्यादा का ख्याल रखना
खिलौना मत बनना किसी हाथ का।
सीखना दरिंदगो से निपटने के गुर
और सिखाना अपने बेटे व भाइयों को
आचरण व सभ्यता के पाठ
ताकि वो समझ सकें स्त्री की गरिमा ।
और हाँ, तुम्हें नहीं जरूरत
रंग-ढंग में पुरुषों से बराबरी करने की
जो तुम नहीं हो वह क्यों बनना ?
तुम स्त्री हो, स्वयं में पूर्ण संवरी हुई
तुम निखारो स्वयं का स्त्रीत्व
वही तुम्हारी श्रेष्ठ गरिमा है ।