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5 Jul 2021 · 1 min read

एक मुठी सरसो पीट पीट बरसो

एक मुठी सरसो पीट पीट बरसो।

पावल जे कुर्सी संसद में भाई,
ओकर ना बारिश में कुछउ भिलाई।
रही निहाल ऊ त बिहने भा परसो-
एक मुठी सरसो पीट पीट बरसो।

बारिश में देखऽ छाता बा छूटल,
लागल बा पानी कि सड़क बा टूटल।
सब केहू रोवे नेता लो हरसो-
एक मुठी सरसो पीट पीट बरसो।

चूवेला मड़ई त गांव भर छावे,
लिहल जे वोट ऊ झांके ना आवे।
ओकर बा चानी तरसे ऊ तरसो-
एक मुठी सरसो पीट पीट बरसो।

– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 20/07/2020

नोट- मुखड़ा एगो लोकोक्ति/कहाउत हऽ।

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