एक मुठी सरसो पीट पीट बरसो
एक मुठी सरसो पीट पीट बरसो।
पावल जे कुर्सी संसद में भाई,
ओकर ना बारिश में कुछउ भिलाई।
रही निहाल ऊ त बिहने भा परसो-
एक मुठी सरसो पीट पीट बरसो।
बारिश में देखऽ छाता बा छूटल,
लागल बा पानी कि सड़क बा टूटल।
सब केहू रोवे नेता लो हरसो-
एक मुठी सरसो पीट पीट बरसो।
चूवेला मड़ई त गांव भर छावे,
लिहल जे वोट ऊ झांके ना आवे।
ओकर बा चानी तरसे ऊ तरसो-
एक मुठी सरसो पीट पीट बरसो।
– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 20/07/2020
नोट- मुखड़ा एगो लोकोक्ति/कहाउत हऽ।