एक मुक्तक
माँ सरस्वती की कृपा हमपर बरसती रहे।
लेखनी यूँ ही मेरी हरपल चलती रहे।
मै लिखूं गीत प्रेम और सत्य के।
इस साहित्य से सत्य की राह मिलती रहे।
बृन्दावन बैरागी “कृष्णा”
माँ सरस्वती की कृपा हमपर बरसती रहे।
लेखनी यूँ ही मेरी हरपल चलती रहे।
मै लिखूं गीत प्रेम और सत्य के।
इस साहित्य से सत्य की राह मिलती रहे।
बृन्दावन बैरागी “कृष्णा”