एक माँ ही होती हैं….!!
उसे अपना मान, सम्मान और साया मानकर जीवन गुजारने वाली एक मां होती है….
मेरी आस, मेरी जान तु ही, मां-बेटे का एक अटुट बंधन है यही…।।
एक नन्ही-सी जान को, एक मां अपने कोख में नौ: महिने तक रखकर उसे इस दुनिया में जन्म देती है। उसके आने की खुशी और बिना कुछ बोले ही सब जान लेने वाली एक मां ही होती…, अपने कोख में वो नन्ही जान जब हिलती है, तो उस मां को दर्द तो होता है, लेकिन इससे ज्यादा खुशी भी होती है। इस दुनिया में जब वो बच्चा जन्म लेता है। तो वो एक अनजान बनकर, उसे उस वक्त किसी की पहचान नही होती। उसे इसका अहसास भी नही होता कि में क्या हुं, और कहा हुं…।। जब धीरे-धीरे वो कुछ बड़ा होता है और पेड़ की टहनियों के की शाखाएं बन जाता है। तब वो अपने जीवन के रिश्ते में मां को मां कहकर, तो पापा को पापा और इसी तरह सभी रिश्तों को अपने छोटे से मुख से बंया करता तो हर एक की खुशी देखते ही बनती है…।।
जब वह नन्ही-सी जान मां को मां कहकर पुकारती है। उस खुशी का मिजाज सबसे निराला होता है। क्योंकि वह खुशी पाने के लिए कितना दर्द, कितनी, शर्ते और कितनी पांबदी के साथ जीना पड़ता है। इसके लिए लम्बे अर्से का इंतजार भी करना पड़ता है। उस समां को सभी भूल जाते है, लेकिन मां कभी नही भूलती। उस पल को मां अपने बच्चे की अच्छाई व बुराई दोनों वक्त में याद करती है। और बेटे क लिए हर पल आगे रहती है।
में आ रहा हुं मां, तेरी पनाह में, हमें रखना………
में एक दुनिया में आया हुं, लेकिन अभी तो आंखे ही नही खुली है, आंखें खुलने की कोशिश कर रहा हुं, फिर ये दुनिया देखुगां, और जीवन में कारगार सपनों को पूरा करूगां…।। ये सपना दुनिया में आने वाला हर इंसान कहता है। लेकिन इसे कोई नही सुन पाता।
में अपने जीवन में आकर अपने सपनों को जीतकर रहुगा, जीवन में अपने बीते हुए पल को अतीत को याद कर आने वाले पल को सब हासिल करूंगा, यही उम्मीद के साथ में इस दुनिया में आ रहा हुं, तो मेरा इंतजार करों, में आ रहा हुं मां…….. ये वो इस दुनिया में आने वाला शख्य बोलता है, जिसे कोई नही सुनता और ना ही इस नजर से देखता है। ये वक्त मां की कोख मे बिताया हुआ पल है, जिसे एक बच्चा जन्म होने से पहले अपनी मां को अहसास दिलाता है और मां इसे महसुस कर हर पल मुसकाराती है। जिसे वो अपना आने वाला पल मानकर उसे दुनिया में लाती है। और इन नई खुशियों को संजोती है। फिर एक खुशी को गले लगाकर अपनी विरानीयों को दुर करती एक मां बनकर अपने साये की तरह वो उस बच्चे को अपने पास रखती है। पल-पल उस साये से अपनी जीदंगी से भी ज्यादा चाहती है और मानती है। क्योंकि वो उसका सहारा ही नही, बल्कि एक जीने का आसरा और जीवन कब गुजरे उसके ध्यान में ये अहसास नही होता…।। जब वो बच्चा इस दुनिया में जनम लेता है, तो उस मां से ज्यादा उसे कोई नही समझ पाता… यही तो एक मां होती है और उस बेटे का प्यार जो इस दुनिया ेमें आने का जिक्र उस मां से कोख में ही किया करता है। इसे हर मां महसुस करती है.. पर किसी को कहती नही,,, केवल अपने मन में रख कर खुश रहती है…।। – मनीष कलाल
उसे अपना मान, सम्मान और साया मानकर जीवन गुजारने वाली एक मां होती है….!!
– “मन” मनीष कलाल, डूंगरपुर (राजस्थान)
-9610006356, 800331586