एक बार नहीं, हर बार मैं
एक बार नहीं, हर बार मैं, उनसे हुआ हूँ बेइज्जत बेघर।
भटका हूँ मदद को मैं दर-दर, लेकिन नहीं ली मेरी खबर।।
एक बार नहीं, हर बार मैं——————–।।
यह भी मैंने नहीं कहा था, उन्होंने ही मना किया था।
मुझमें अगर है कुछ शर्म, रखूँ नहीं कदम उनकी दर।।
एक बार नहीं, हर बार मैं——————-।।
मुझको दिया होता गर पैसा, तो ऐसा नहीं मैं कहता।
रुलाकर दी है मुझको मदद, नहीं दिया मुझे प्यार मगर।।
एक बार नहीं, हर बार मैं——————-।।
देखी नहीं कभी मैंने खुशी, जब भी गया उनसे मिलने।
कैसे कहूँ मैं उनको अपना, करते हैं व्यवहार गैर कहकर।।
एक बार नहीं, हर बार मैं——————।।
बदनाम नहीं अब होना है, नहीं सहना किसी का अब जुल्म।
नहीं खुशियां मुझे बर्बाद करनी, जीना है अब निडर बनकर।।
एक बार नहीं, हर बार मैं——————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)