एक प्रेरणादायक अनमोल ज्ञान
कर्म से महान,
जन्म माता-पिता द्वारा मिलता है और जीवन मनुष्य द्वारा स्वयं बनाया जाता है। जीवन उसका नाम नहीं जो हमें मिला है अपितु जीवन वह है जो हम बनाते हैं।
जन्म से न कोई भला होता है न कोई बुरा होता है। मगर हमारे कर्म ही हमें महान और निकृष्ट बनाते हैं। रावण ने ब्राह्मण कुल में जन्म लिया और श्री राम ने क्षत्रिय कुल में। रावण विश्रवा ऋषि की संतान थी तो श्रीराम राजा दशरथ की।
मगर कर्म के आधार पर श्रीराम जन-जन के आदर्श और प्रेरणा स्रोत प्रभु श्रीराम बन गये तो रावण असुर और अधम कहलाने लगा। अपने महान और श्रेष्ठ कर्मों के आधार पर एक पूजे जाने लगे तो तो अपनी आसुरी प्रवृत्तियों के कारण एक का पुतला जलाया जाने लगा।
एक का जीवन वंदनीय बन गया तो एक का जीवन निंदनीय बन गया। कीमती चीजों को उठाने के लिए झुकना पड़ता है। याद रखें, बडों का आशीर्वाद उनमें से एक हैं।
कौन क्या कर रहा है, कैसे कर रहा है, क्यों कर रहा है – इससे हम जितना दूर रहेंगे, अपनी मन्जिल के उतने ही करीब रहेंगे।
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? प्रभु चरणों का दास :- ”चंदन”
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