कल है हमारा
singh kunwar sarvendra vikram
वो नेमतों की अदाबत है ज़माने की गुलाम है ।
क्यों करते हो गुरुर अपने इस चार दिन के ठाठ पर
तूँ है कि नहीं है ये सच्च सच्च बता
चाँद बदन पर ग़म-ए-जुदाई लिखता है
सुख और दुःख को अपने भीतर हावी होने न दें
रोशनी का रखना ध्यान विशेष
सुना है सपनों की हाट लगी है , चलो कोई उम्मीद खरीदें,
ज़िंदगी है गीत इसको गुनगुनाना चाहिए
एक लड़की एक लड़के से कहती है की अगर मेरी शादी हो जायेगी तो त
*धर्मप्राण श्री किशोरी लाल चॉंदीवाले : शत-शत नमन*
कोई होमवर्क नहीं मिल पा रहा है मुझे,
पल पल रंग बदलती है दुनिया
कुछ बीते हुए पल -बीते हुए लोग जब कुछ बीती बातें
क्या अच्छा क्या है बुरा,सबको है पहचान।
क्यों जिंदगी अब काली रात है
ग़ज़ल _ छोटी सी ज़िंदगी की ,,,,,,🌹