एक पुरुष कभी नपुंसक नहीं होता बस उसकी सोच उसे वैसा बना देती
एक पुरुष कभी नपुंसक नहीं होता बस उसकी सोच उसे वैसा बना देती है क्योंकि शरीर की सारी गतिविधियां मस्तिष्क से ही संचालित होती है।दिमाग को सोचता है शरीर वहीं करता है जैसा माहौल होता है वैसा हमें महसूस करना होता है।
RJ Anand Prajapati