एक परिंदे सी फड़फड़ाती हूं मैं
एक परिंदे सी
फड़फड़ाती हूं मैं
जब सुनती हूं किसी की भी
व्यथा
दिल निकल आता है मेरा
बाहर
कलेजा फट जाता है
यूं ही मर जाऊंगी मैं
एक दिन
फिर भी कोई नहीं समझेगा कि
मैं कैसी थी
कोई कभी नहीं जानना चाहेगा
मेरी व्यथा
मेरी कथा
मेरी रूह से निकलती
किसी के दिल तक न पहुंचती हुई
एक दबी हुई सिसकती हुई आवाज के
शोर की कराहती सी एक सदा।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001