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19 May 2020 · 1 min read

एक पथिक का दुख और माँ से पुकार

देख के धरती_माँ क्या आज तुझे
दिल दहल सा नहीं जाता है
कल जो तुझे काटो से बचाता था
आज खुद काटो मे गिर जाता है
हर कदम पर जहाँ सुकू था
आज वही गम की बेला है
जिस रास्ते को यू ही गुज़ार देते थे
आज उसी मे खड़ा पथिक अकेला है

हे माता क्या तुझे नहीं पता
तेरा लाल जी रहा किस हालत मे
पसीने के पानी को आज वह
घूट-घूट कर पी रहा है किस हालत मे
जिसको पहुंचाया सबको उनकी मंजिलों मे
आज वही पथिक रास्ते मे भटक रहा है

हे माँ क्या तुझे नहीं पता
तेरे लाल हज़ार है
आज जरुरत उनको जिनकी है
उनके साथ सिर्फ तेरा प्यार
पंहुचा दे माँ उनको उनकी मंजिल मे
भटक रहा है पथिक जिसको पाने को
आस लगी है आज उसे माँ
बस अपने घर को जाने को

Language: Hindi
Tag: गीत
3 Likes · 3 Comments · 298 Views
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