Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Jan 2018 · 1 min read

एक निवेदन

माँ नर्मदा का जल, मल इसमें ना मिलाओ मानव,
दानव जैसा कृत्य, माँ को क्रुद्ध कर सकता है |
पावन है नीर, पीर इसकी ना समझी तो,
जीवन की राहे अवरुद्ध कर सकता है |
सुन्दर है घाट, ठाठ इसके देवलोक जैसे,
प्यार से जो देखो मन को शुद्ध कर सकता है |
माता का यह प्यार, उपहार धरा-धाम पर,
इसको सहेजो, जीवन बुद्ध कर सकता है |

1 Comment · 281 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
इंद्रधनुष
इंद्रधनुष
Harish Chandra Pande
विचार, संस्कार और रस-4
विचार, संस्कार और रस-4
कवि रमेशराज
स्याही की मुझे जरूरत नही
स्याही की मुझे जरूरत नही
Aarti sirsat
हम हिंदुओ का ही हदय
हम हिंदुओ का ही हदय
ओनिका सेतिया 'अनु '
हाँ, मेरा मकसद कुछ और है
हाँ, मेरा मकसद कुछ और है
gurudeenverma198
5
5"गांव की बुढ़िया मां"
राकेश चौरसिया
रंग जीवन के
रंग जीवन के
kumar Deepak "Mani"
बाहरी वस्तु व्यक्ति को,
बाहरी वस्तु व्यक्ति को,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
घाव करे गंभीर
घाव करे गंभीर
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
भोर होने से पहले .....
भोर होने से पहले .....
sushil sarna
जीवन मंथन
जीवन मंथन
Satya Prakash Sharma
सूना आज चमन...
सूना आज चमन...
डॉ.सीमा अग्रवाल
है कुछ पर कुछ बताया जा रहा है।।
है कुछ पर कुछ बताया जा रहा है।।
सत्य कुमार प्रेमी
जब टूटा था सपना
जब टूटा था सपना
Paras Nath Jha
गणतंत्र दिवस
गणतंत्र दिवस
विजय कुमार अग्रवाल
रूठना मनाना
रूठना मनाना
Aman Kumar Holy
ईर्ष्या
ईर्ष्या
Sûrëkhâ Rãthí
महाकाल का आंगन
महाकाल का आंगन
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
नव वर्ष (गीत)
नव वर्ष (गीत)
Ravi Prakash
"दिल में झाँकिए"
Dr. Kishan tandon kranti
* ज्योति जगानी है *
* ज्योति जगानी है *
surenderpal vaidya
मां की ममता जब रोती है
मां की ममता जब रोती है
Harminder Kaur
बाल कविता: मुन्ने का खिलौना
बाल कविता: मुन्ने का खिलौना
Rajesh Kumar Arjun
आप और हम जीवन के सच................एक सोच
आप और हम जीवन के सच................एक सोच
Neeraj Agarwal
No battles
No battles
Dhriti Mishra
एक अर्सा हुआ है
एक अर्सा हुआ है
हिमांशु Kulshrestha
आज हम जा रहे थे, और वह आ रही थी।
आज हम जा रहे थे, और वह आ रही थी।
SPK Sachin Lodhi
2693.*पूर्णिका*
2693.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
■ सर्वाधिक चोरी शब्द, भाव और चिंतन की होती है दुनिया में। हम
■ सर्वाधिक चोरी शब्द, भाव और चिंतन की होती है दुनिया में। हम
*Author प्रणय प्रभात*
सुनो
सुनो
पूर्वार्थ
Loading...