एक नारी की संवेदना
एक नारी की संवेदना
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जी नहीं सकती हूं मै तुम्हारे बिना,
मर नहीं सकती हूं मै तुम्हारे बिना।
अब तो आ जाओ तुम मेरे सनम,
रह नही सकती हूं मै तुम्हारे बिना।।
बसंत ऋतु भी जा चुकी है,
शरद ऋतु भी आ चुकी है।
कैसे कटेगी ये ऋतु तुम बिन,
ये भी जाने के मूड मे आ चुकी है।
गलतियों को मेरी माफ कर देना,
क्षमा प्रार्थी हूं मुझे क्षमा कर देना।
नोक झोंक तो चलती रहती है,
इन सबको दिल से निकाल देना।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम