एक नया इतिहास लिखो
हृदय ठान लो हे वैदेही!
एक नया इतिहास लिखो।
जितना तुमने झेला मन में
वह अपना संत्रास लिखो।।
लिखो तनिक अपने पाॅंवों की,
विषम वेदना का अवसर!
लिखो टूटकर झरते अपने,
जीवित सपनों का कण-कण !!
व्यथा और अनहोनी का भी,
व्यंग भरा मृदुहास लिखो।
हृदय ठान लो हे वैदेही!
एक नया इतिहास लिखो।।
लिखो दासियोॅं का मोहित मन,
लंका में जो साथ रहीं!
जो अपना माने थीं तुमको,
जुड़ तुमसे कुछ खास रहीं!!
पुनरावृत्ति नहीं हो फिर से,
टीस भरा वनवास लिखो!
हृदय ठान लो हे वैदेही
एक नया इतिहास लिखो।।
नीॅंव डाल दी अग्नि परीक्षा
की होकर जन-प्यारी क्यों
तुम तो ईष्ट साधिका थी ही
फिर पुरुषों से हारी क्यों?
भूमि-सुता वसुधा पर आकर
नव-चेतन-विश्वास लिखो।
हृदय ठान लो हे वैदेही
एक नया इतिहास लिखो।
स्वरचित
रश्मि लहर
लखनऊ, उत्तर प्रदेश