एक-दूसरे के लिए
एक-दूसरे के लिए
कभी-कभी
ऐसा लगता है
हम दोनों एक दूसरे के लिए ही थे
वो जो ऊपर बैठा जोड़ियां बनाता है
उसे सब कुछ ठीक करना आता है
वो किसी को अकेले पूरा नहीं होने देता
वो एक साथी देता है
जिसके साथ अग्नि की पवित्र परिक्रमा करवाता है
और एक दूसरे के लिए त्याग ,समर्पण और प्रेम
जैसे भाव भी पैदा करवाता है
और ये प्रेम ही है हम दोनो का
जिसने प्रतीक्षा करना सहज कर दिया
एक-दूसरे से दूर रह कर भी
एक दूसरे के लिए हमेशा सबसे पहले रखा
बार-बार खुद को संवार कर
गुलाब की पंखुड़ियों जैसे खिल कर
तुमने मेरा इंतज़ार किया
मैंने तो बस इतना मांगा ईश्वर से की —
ज़िंदगी के अनगिनत पथ और यात्राओं में
तुम मेरे साथ चलो
मेरे इंतज़ार को श्रृंगार समझ
आंखों में काजल ,मांग में सिंदूर
पैरो में पायल और हाथों में चूड़ियां पहन
तुम मेरे होने को हमेशा महसूस करो…
अभिषेक राजहंस