एक दिन
एक दिन
जो कभी गुजार पाऊँ
तुम्हारे साथ..
किसी झील के करीब
दूर से आता देख तुम्हें
इंतजार की पीढ़ा भूल
हाथ उठा कर बुला लूँ
तुम्हें नज़दीक
तुम्हारे हाथ बढाने
और मेरा हाथ थाम
देखते रहें एक दूसरे की आँखों में
ख़ामोश रहें होंठ
बातें आँखों से कर लें हम
जी लें उन चंद पलों में
एक पूरा जीवन
इस क़दर ख़ामोशी दिल की
धड़कन सुन पाएं एक दूजे की हम
ख्वाहिश छू लेने की
एक भीगे से चुम्बन की
महज ख्वाहिश, अधूरी, अनुत्तरित
हिमांशु Kulshrestha