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7 Jan 2022 · 18 min read

एक तूफ़ानी रात

बादलों की तेज़ गड़गड़ाहट के साथ भयानक बारिश , रह रह कर कड़कती बिजली और दूर- दूर तक बिखरे घने पेड़ पौधों का अंधेरों से आंख मिचौली करना ऐसा प्रतीत हो रहा मानो प्रलय ने ही बारिश रूप ले रखा हो I मैलानी के जंगल का विशाल क्षेत्र , जो तरह तरह के वन्यजीवों का एक महत्वपूर्ण आश्रय स्थल बना हुआ है I जहाँ से गुजरते हुए अक्सर ही छोटे से छोटे पशुओं से लेकर बड़े से बड़े और ख़तरनाक पशु भी भ्रमण करते दिख जाते है I

इस जंगल के मध्य से निकलता मार्ग , मार्ग के दोनों ओर एक दूसरे में गुंथे हुए दूर तक फैले पेड़ों के झुंडों को जैसे अलग करना असंभव ही हो I अंधकार को भेदती हमारी प्रचार गाड़ी इसी सड़क पे आगे बढ़ती जा रही थी I गाड़ी के अगले भाग में ड्राइवर वाले केबिन में हम कुल तीन लोग ही थे I मैं मेरा एक साथी संजय और ड्राइवर विनोद , चूँकि अधिकतर प्रोजेक्ट में हमारी गाड़ी में वही ड्राइवर साथ रहता था इसलिए वो हम सभी से अत्यंत घुल मिल गया थाI बारिश की ऐसी तूफानी रात में हम तीनो ही गाड़ी की हेड लाइट में रिमझिम करती हवाओं के शोर की धुन पे थिरकती पानी की बूंदों की चंचल अदाओं का आनंद ले रहे थे , साथ ही शीघ्र अतिशीघ्र जंगली मार्गों से निकलकर लखीमपुर के आबादी वाले क्षेत्र पहुंच जाना चाहते थे क्योकि मौसम निरन्तर ख़राब होता जा रहा था I जंगल में वन्यजीवों का भय तो बना ही हुआ था किन्तु यूँ प्रतीत हो रहा था कि मौसम के असामान्य होते ही जंगली पशु भी सुरक्षित स्थान खोज कर विश्राम कर रहे थे या फिर छुप कर ऐसे भीषण तूफ़ान के रुकने की प्रतीक्षा कर रहे थे I
हमारी प्रचार गाड़ी का पिछला हिस्सा कुछ इस तरह से बनाया गया था कि उसे एक कमरे कि तरह यात्रा के दौरान उपयोग में लाया जा सके I उसमे पीछे कि ओर दो दरवाजे लगे थे जिसे अंदर या बाहर से बंद किया जा सके , आगे कि तरफ एक झरोखा भी था जिसे खोल कर ड्राइवर से संपर्क किया जा सकता था I हवा के आवागमन के लिए भी इसका उपयोग हो सके I इस केबिन में कम्पनी के प्रचार हेतु जो एक्टिविटी होती थी उसकी समस्त सामग्री भी रखी जाती थी , साथ में कुछ गद्दे आदि भी थे , जहाँ आवश्यक होने पर उन पर विश्राम भी किया जा सके I

एक स्थान पर दिन में कार्य समाप्त करके अगले दिन जिस दूसरे स्थान पर जाना होता था , वो स्थान पहले स्थान से दूर भी हो सकता था और निकट भी हो सकता था I यदि हम अगले दिन यात्रा करके वहां पहुंचते तो उस दिन का कार्य भी विलम्ब से प्रारम्भ होता और थकान भी आ जाती I अपरिचित स्थान होने के कारण अगले दिन के कार्यस्थल को ढूढ़ने में समस्या भी होती थी और समय भी अत्याधिक व्यर्थ चला जाता जिसका प्रभाव फिर अपने कार्य पे भी पड़ता अतः हम लोग अगले दिन के कार्यस्थल के समीप पहुंचने की यात्रा रात में ही संपन्न कर लेते जिससे कुछ विश्राम करने के पश्चात् सुबह तरो ताज़ा होकर अपने कार्य को आरम्भ किया जा सके I

यूँ भी रात में यात्रा करना हम सभी को अतिप्रिय था वैसे तो हमारी पूरी टीम कुल सात लोगों की थी , यात्रा करते समय चार लोग गाड़ी के पिछले भाग में विश्राम करते , दो लोग ड्राइवर के साथ आगे बैठते इस तरह अदल बदल कर सभी लोग आराम कर लेते थे एक मात्र ड्राइवर को छोड़कर I जिससे समस्त टीम को सुबह कार्य करने में किसी प्रकार की थकान का अनुभव न हो I ड्राइवर कार्यस्थल पर पूरे दिन खाली रहता था तो वो भी दिन में गाड़ी एक किनारे छायादार स्थान पे लगा कर विश्राम कर लेता था I दिन में गाड़ी में अपनी नींद पूरी कर लेने पर रात में उसे गाड़ी ड्राइव करने में किसी प्रकार की समस्या का सामना नहीं करना पड़ता था और थकान भी नहीं लगती थी I
अन्य दिनों की भांति ही शाम को कंपनी का कार्य पूर्ण करके जब हम लोग भीरा से आगे बढ़े तो मौसम सुहावना सा था I हवा में हलकी सी ठिठुरन भी थी I ये घटना नवंबर २००५ की है हमारी गाड़ी ने जैसे ही आगे बढ़ना प्रारम्भ किया मौसम भी धीरे धीरे बदलने लगा I चारों ओर से आसमान के आंगन में घनघोर घटाओं की पताका लहराने लगी I अंधकार ने अपने साम्राज्य को धीरे धीरे बढ़ाना प्रारम्भ कर दिया I आगे बढ़ने से पूर्व ही हम सभी ने थोड़ा बहुत खा लिया था इसलिए निश्चिंत होकर हमने अपनी यात्रा पर आगे बढ़ना जारी रखा I शहर के टेड़े मेढे मार्गों से होकर भीड़ भाड़ को पीछे छोड़ती हुई हमारी गाड़ी तीव्र गति से आगे बढ़ती जा रही थी I तभी तीव्र आंधी के साथ बारिश भी प्रारम्भ हो गई I मौसम की अठखेलियों के कारण किसी को थकान का अनुभव भी नहीं हो रहा था I
शहर के कोलाहल की तीव्रता मंद पड़ने लगी और खेतों की अनवरत श्रृंखला हमारे समक्ष दृष्टिगत होने लगी I इन्ही खेतों के मध्य से होते हुए हमारी गाड़ी वन्य क्षेत्र में प्रवेश करने वाली थी I मौसम निरन्तर बिगड़ता जा रहा था I वारिश की तीव्रता भी बढ़ रही थी I तीव्र गर्जन के साथ रह रह कर बिजली भी कौंध उठती थी I रात के गहराते आंचल में हम बढ़ते जा रहे थे कि मार्ग में एक ओर पेट्रोल पंप दृष्टित हुआ I विनोद ने गाड़ी वही रोक कर पहले तो गाड़ी कि टंकी को पूर्णतया भरवाया क्योकि आगे कही भी पेट्रोल कि समस्या का सामना न करना पड़े तत्पश्चात सभी अन्य कार्यों से निश्चिन्त होकर गाड़ी में बैठ गए I अब कही भी गाड़ी का रोकना संभव नहीं होता I आगे सघन वन्य क्षेत्र था, अतः गाड़ी के पिछले दरवाजों को बाहर से बंद करके उनमे ताला डाल दिया गया I टीम के अन्य चार सदस्य अंदर विश्राम करने लगे गाड़ी के पिछले भाग में बने झरोखे को खोल दिया गया जिससे अंदर हवा का आवागमन हो सके और उन्हें किसी प्रकार की समस्या न हो यद्यपि सामान्यतय : यात्रा करते समय दरवाजों को खुला रखा जाता था जिससे अंदर बैठे लोग बाहर के दृश्यों का पूर्णतयः आनंद ले सके और यात्रा में किसी प्रकार की समस्या का अनुभव भी न हो किन्तु आगे वन्य क्षेत्र होने के कारण और बिगड़े मौसम को दृष्टिगत रखते हुए आज की यात्रा में दरवाजों को बंद करना अनिवार्य हो गया था , अतः ड्राइवर ने दरवाजे बंद करके उन पर ताला लगा के आगे की यात्रा प्रारम्भ की I

धीरे धीरे खेतों को पीछे छोड़ती हुई गाड़ी ने वन्य क्षेत्र में प्रवेश कर लिया I वृक्षों के मध्य का अंतर निरन्तर घटता जा रहा था I वृक्षों की श्रृंखलाएं सघनतम होती जा रही थी I छोटे बड़े घने वृक्षों के मध्य से सियारों या फिर हिरणों का झुण्ड अकस्मात ही मार्ग में आ जाता किन्तु गाड़ी की हेडलाइट और उसके शोर से भयभीत होकर वृक्षों के मध्य ही ओझल भी हो जाता I तीव्र गति से वारिश जारी थी , बादलों के तीव्रतम गर्जन के साथ कौंधती बिजली का रौद्र रूप जंगल की भयंकरता को सहसा ही बढ़ा रहा था I

घनघोर अंधकार में जंगली पशुओं की भिन्न भिन्न प्रकार की ध्वनियाँ रात को रहस्य की पर्तों में समेटने को उत्सुक सी प्रतीत हो रही थी I हमारी यात्रा वारिश के साथ साथ उसी गति से बढ़ती जा रही थी I वारिश से गीली मिटटी के साथ जंगली पौधों की अनोखी सुगंध वातावरण में मादकता बिखेर रही थी I कुछ देर पहले तक कभी कोई दूसरी गाड़ी आते या जाते हुए दृष्टिगत हो भी जाती थी , किन्तु इस तूफानी रात में अब कोई भी वाहन अत्यन्त समय से दृष्टिगत नहीं हुआ I यात्रा आरम्भ करते समय हम सभी ने अल्पमात्रा में आहार ले लिया था अतः अभी तक भूख की अनुभूति नहीं हो रही थी I ज्यूँ ज्यूँ हमारी यात्रा आगे बढ़ रही थी त्यूं त्यूं भूख का भी प्रभाव हम सभी पर दृष्टित होने लगा था I ऐसे तूफानी रात में जहाँ किसी मानव का अस्तित्व भी दृष्टिगोचर न हो , वहां किसी भी प्रकार के भोजन का मिलना असंभव ही था I अकस्मात बादलों के मध्य तीव्र बिजली सी कौंधी I बिजली और गाड़ी की हेडलाइट के प्रकाश में दूर कोई झोपडी सी दृष्टित हुई I हमारे अंतर्मन में आशा की एक किरण ने जन्म लिया कि संभवतः वहां पर हम लोगों के भोजन का प्रबंध हो सके I इस विचार ने हम सभी के मन को प्रफुल्लित कर दिया I ड्राइवर विनोद ने कहा कि वहां पहुंच के ही ज्ञात होगा कि वहां हमारे भोजन और ठहरने का प्रबंध हो भी पाएगा या नहीं , क्योंकि ऐसी तूफानी रात में आगे बढ़ना ख़तरनाक होता जा रहा है I हमने संजय के चेहरे को देखा वो पूर्णतयः विनोद की बातों से सहमत लग रहा था I क्योंकि ऐसे तूफ़ान में यदि कोई बड़ा वृक्ष उखड कर मार्ग पर गिर जाता तो गाड़ी का आगे बढ़ना असंभव हो जाता और उसे मार्ग से हटाने में किसी की सहायता प्राप्त होना और भी दुरूह कार्य हो जाता अतः अत्यंत आशा के साथ हम आगे बढ़ने लगे I

गाड़ी के उसके समीप पहुंचने पर ज्ञात हुआ कि वो एक छोटा सा झोपडी जैसा ढाबा ही था , जहाँ निकट के ग्रामवासी जंगल से गुजरते हुए कुछ समय विश्राम और अल्पाहार के लिए ठहर जाते होंगे I इस ढाबे को एक वृद्ध दम्पति चला रहे थे I रात में वे निकट ही गांव में अपने घर लौट जाते थे किन्तु आज उन्हें घर लौटने का अवसर नहीं मिल सका I मौसम के अकस्मात बिगड़ जाने के कारण वे भी इस झंझावात में फंस कर रह गए और घर नहीं लौट सके I ढाबा पूर्णतयः अस्तव्यस्त हो चुका था I कोई भी सामग्री ग्रहण करने योग्य नहीं रही थी I वे दोनों वृद्ध दम्पति स्यंव को पानी से सुरक्षित रखने का भरसक प्रयास कर रहे थे , किन्तु वे सफल नहीं हो पा रहे थे I इस परिस्तिथि में उनके समीप जाकर अत्यंत विनयपूर्ण शब्दों में हमने आग्रह किया कि यदि संभव हो सके तो वे हम सभी के लिए किसी भी प्रकार का भोजन उपलब्ध करा दे I वृद्ध दम्पति ने अपनी असमर्थता दर्शाते हुए कहा कि इस भीषण तूफ़ान में सम्पूर्ण भोज्यसामग्री नष्ट हो गई है और इस तूफ़ान में पुनः भोजन बनाना भी असंभव है I ये सुन कर हम सभी के मुख मंडल पर निराशा सी आ गयी I हमे इस प्रकार निराश देख कर वो वृद्ध दम्पति वहां रखे बर्तनों में कुछ खोजने का प्रयत्न करने लगे I

अपने अथक प्रयास से उन्होंने हमारे भोजन हेतु कुछ चावल, जो बारिश के पानी से सुरक्षित बच गए थे और नाम मात्र को सूखी सब्जी जो बारिश के पानी के साथ मिलकर तरीयुक्त सब्जी में परवर्तित हो चुकी थी , को खोज कर सातों लोगों को थोड़ा थोड़ा परोस दिया I जिसे ग्रहण करने के पश्चात् हम लोगों की पूर्णतयः क्षुधा तो शांत न हो सकी किन्तु कुछ संतुष्टि अवश्य मिल गयी I

भोजन करने के पश्चात् जंगल में रात्रि व्यतीत करना सही नहीं था अतः वहां से निकलने से पूर्व हमने वृद्ध जन से प्रश्न किया कि क्या वे सम्पूर्ण रात्रि इस भीषण जंगल में ऐसे तूफ़ान के मध्य रह कर व्यतीत करेंगे I उन्होंने उत्तर दिया कि अभी गांव से कुछ लोग आ रहे है जो हमे तूफ़ान से सुरक्षित बचा के घर पंहुचा देंगे I आप के आने से पूर्व हम दोनों उन्ही की प्रतीक्षा कर रहे थे I तभी उनके गांव से चार पांच ग्राम वासी हाथों में लाठी , भाले और टॉर्च लिए हुए उन्हें लेने आ गए I हम सभी ने उन दोनों को धन्यवाद दिया और आगे की यात्रा पुनः प्रारम्भ की I

इस तूफानी रात में बड़े बड़े वृक्षों की पत्तियों से आती हुई सायं सायं की तीव्र ध्वनि , गरजते हुए बादलों के साथ जंगल के आतंक को बढ़ा रही थी I लहराते हुए विशालकाय वृक्ष गाड़ी की हेडलाइट में भयंकर दानवों सदृश्य दृष्टित हो रहे थे I बिजली के कौंधने के साथ स्यारों की बीभत्स आवाजें बादलों की गर्जन में लुप्त हो जाती थी I घडी की सुइयों के साथ हमारी यात्रा आगे बढ़ती जा रही थी I

अभी हम आगे बढ़ ही रहे थे कि अकस्मात किसी नन्हे से बच्चे के करुण क्रदन ने हमारी तंद्रा को तोड़ दिया I जिसकी ध्वनि बादलों की गर्जन और बिजली के कडकने के मध्य भी स्पष्ट सुनाई पड़ रही थी I अनायास गाड़ी की हेड लाइट में हम तीनो की दृष्टि मार्ग को भेदती हुई दूर तक चली गयी I दूर से मार्ग के मध्य एक कपड़ों की पोटली दृष्टित हो रही थी I गाड़ी के उसके निकट पहुंचने के साथ ही बच्चे का क्रदन भी बढ़ता जा रहा था किन्तु दूर दूर तक कोई भी दृष्टित नहीं हो रहा था I

यूँ तो इस भीषण झंझावात में घनघोर जंगल में मानव जाति की उपस्तिथि ही कल्पना से परे थी , ऐसे में किसी अबोध बालक का होना असंभव ही लग रहा था I क्यों कोई भी ग्रामीण इस भयंकर झंझावात में अपने अबोध बालक को लेकर वन्य क्षेत्र में प्रवेश करेगा या कोई बालक अनायास ही भटक कर जंगल में आ गया और इस तूफ़ान में फंस कर भयभीत हो क्रदन करने लगा हो I इन्ही विचारों के मध्य मस्तिष्क में एक संघर्ष सा चल रहा था हममे से किसी के पास इन सवालों के स्पष्ट उत्तर नहीं थे I अबोध बालक का क्रदन बढ़ता ही जा रहा था I गाड़ी की हेडलाइट के प्रकाश में मार्ग के मध्य मात्र एक पोटली सी रखी हुई ही दृष्टित हो रही थी बारिश की तीव्रता के साथ साथ अबोध बालक का बढ़ता हुआ क्रदन अंतर्मन में भय का संचार कर रहा था I

अकस्मात तीव्र गर्जन के मध्य गगन के एक छोर से भयंकर बिजली कौंधी तब तक हमारी गाड़ी पोटली के निकट पहुंच चुकी थी I गाड़ी के प्रकाश और बिजली की चमक में जो दृष्टित हुआ उसने हम तीनो के शरीर में भय से सिहरन भर दी I पोटली के ऊपर किसी बालक का सिर रखा हुआ था और उसी से रोने की आवाज आ रही थी I ऐसा दृश्य देखकर हम तीनो अपने स्थान पे जड़वत से हो गए , भय की अधिकता से किसी प्रकार के शब्द मुँह से नहीं निकल पाए I इससे पहले कि हमारी गाड़ी उस सिर से टकराती , विनोद ड्राइवर ने अति शीघ्र तीव्रता से ब्रेक लगाए I हमारे सिर गाड़ी के सामने के शीशे से टकरा गए I जब तक हम स्यंव को सँभालते विनोद गाड़ी को पोटली के समीप से काट कर किनारे से निकाल कर आगे बढ़ा ले गया I उसने हमे अपने हाथ के संकेत द्वारा कोई भी शब्द कहने से रोक दिया I गाड़ी के आगे बढ़ते ही विनोद ने गाड़ी के शीशे पे अपनी उँगलियों से क्रॉस का चिन्ह बनाया और गाड़ी की गति को बढ़ा दिया I हम अभी भी भयग्रस्त मौन थे I

अभी जो घटना हमारे समक्ष घटित हुई उसने हमारे सम्पूर्ण अस्तित्व को झकझोर के रख दिया I यूँ प्रतीत हो रहा मानों मस्तिष्क को विचारशून्य कर दिया हो ,भांति भांति के संदेहों ने अपने प्रभाव में ले लिया हो I वो किसी अबोध बालक का सिर कोई विचित्र घटना थी या जीवित बालक , जिसे इस तूफानी बारिश में कोई गांव का व्यक्ति मरने के लिए एक कपड़ों की गठरी में बांध कर छोड़ गया हो I जिसे हमारी सहायता की आवश्यकता हो और हम भयभीत हो उसे मार्ग में इस झंझावात में मृत्यु के समीप छोड़ आए हो I मस्तिष्क में ऐसे विचारों के जन्म लेते ही हम एक विचित्र से अपराध बोध से ग्रसित होते जा रहे थे किन्तु अपरिचित से एक भय के कारण वहां लौट कर उस बालक की सत्यता जानकर उसकी सहायता करने का साहस नहीं कर पा रहे थे I

अनेकों आशंकाओं के मध्य हमारी यात्रा पुनः आगे बढ़ने लगी I धीरे धीरे बालक का क्रदन क्षीण होने लगा तथा मेघों के गर्जन , तीव्रतर तूफानी हवाओं और बारिश के कोलाहल में विलीन हो गया I बारिश का वेग बढ़ता जा रहा था , चमकती बिजली की कड़कड़ाहट भरी ध्वनि झूमते वृक्षों के कोलाहल के साथ मिलकर मौसम को और भी भयावह बना रहे थे I कुछ दूर चलने के पश्चात जब हम कुछ कहने या पूछने की स्तिथि में आए तो हमने विनोद से प्रश्न किया कि ये जो दृश्य हम लोगों ने देखा ये क्या था, क्या हम को उस नन्हे अबोध बालक कि सहायता नहीं करनी थी ? तुमने गाड़ी के शीशे पर क्रॉस का चिन्ह क्यों अंकित किया ? हमारे इन सवालों के उत्तर संजय भी खोज रहा था I अतः उसने भी प्रश्न भरी दृष्टि से विनोद को देखा I विनोद ने उत्तर दिया कि हमे गाड़ी चलाते समय भिन्न भिन्न स्थानों पर जाना पड़ता है I यदा कदा ऐसी अलौकिक घटनाओं से सामना हो जाता है, जिन्हे समझ पाना मानव मस्तिष्क कि सीमाओं से परे है I अतः ऐसे स्थानों पर जहाँ किसी प्रकार के अनिष्ट कि आशंका हो वहां से अतिशीघ्र ईश्वर की प्रार्थना करते हुए दूर हो जाना चाहिए I मार्ग में जो पोटली दिखाई दी उस पर एक बालक का शीश तो था किन्तु शरीर का शेष भाग कही भी दृष्टित नहीं हो रहा था I छोटी सी पोटली में बालक का शेष शरीर का छुपना भी असंभव था I अतः पोटली में मात्र शीश का होना और उस शीश से बालक के करुण क्रदन का स्वर किसी भयंकर और अलौकिक घटना का संकेत मात्र था जो हम सभी के प्राणों के संकट का कारण बन सकता था I

किसी अनिष्ट की आशंका को ध्यान में रखते हुए हम सभी भयभीत थे ,अतः हम तीनो मौन धारण कर आगे बढ़ने लगे I मस्तिष्क के अंदर भय की अधिकता के कारण सैकड़ों विचारों के मध्य द्वन्द हो रहा था और बाहर झंझावात अपने विकराल रूप को धारण किये हुए था I हम शीघ्र अतिशीघ्र इस वियावान वन्य क्षेत्र से बाहर निकल जाना चाहते थे अतः विनोद ने गाड़ी की गति को बढ़ा दिया I अभी हम मात्र चंद मिनटों की दूरी ही तय कर पाए थे कि गरजते मेघों के मध्य दूर गगन के एक सिरे से बिजली की तीव्र कड़कड़ाहट से सम्पूर्ण वनक्षेत्र प्रतिध्वनित हो गया I स्वतः ही गाड़ी के ब्रेक पर विनोद के पैरों का दबाव बढ़ा और गाड़ी तीव्र ध्वनि के साथ रुकी, पुनः गाड़ी के आगे बढ़ते ही विंडस्क्रीन पे वाइपर ब्लेड ने कार्य करना बंद कर दिया I जिसके कारण सामने विंडस्क्रीन से मार्ग को देखने में बाधा आ रही थी और गाड़ी को ऐसी स्तिथि में चलाना अत्यंत दुष्कर प्रतीत हो रहा था I गाड़ी की गति के प्रभावित होने से हमारी यात्रा शनैः शनैः आगे बढ़ने लगी I

मेघों की गर्जना , हवाओं का कोलाहल निरन्तर जारी था I दृष्टि को चकाचौंध करती कौंधती बिजली मौसम की भयंकरता का परिचय कुछ यूँ बन चुकी थी मानों बारिश की शीतलता को अग्नि के ताप से भस्म करने को उत्सुक हो I भीमकाय वृक्ष प्रचंड हवाओं की शक्ति के आगे असहाय होकर ऐसे लहरा रहे जैसे कई विशा लकाय दानव धरती को रौंदने निकले हो I वातावरण की मादकता अब भय का संचार कर रही थी I अंतर में प्रस्फुटित भय का अंकुर विशाल वृक्ष बनने की ओर अग्रसर था जिसे छुपाने का का भरसक प्रयत्न कर तो रहे थे , किन्तु सफल नहीं हो पा रहे थे I स्वयं को सामान्य दर्शाते हुए भय पर अंकुश रखके हम मौन आवरण ओढ़े आगे बढ़ रहे थे I
वाइपर के कार्य न करने के कारण गाड़ी चलाने में असुविधा हो रही थी क्योकि बारिश की धार विंड स्क्रीन को धुंधला कर देती थी जिसे बारम्बार अंदर से कपडे की सहायता से साफ़ करना पड़ रहा था I हम लोग ईश्वर का नाम जपते हुए किसी प्रकार से आगे बढ़ रहे थे कि अकस्मात गाड़ी के बाएं ओर की हेडलाइट तीव्र ध्वनि के साथ अपने आप टूट गई जिससे मार्ग में एक ओर दिखना बंद हो गया I एक के बाद एक इस प्रकार की मार्ग में घटित होती घटनायें और बाधाएँ अंतर्मन में किसी भीषण अनिष्ट घटित होने का संकेत कर रही थी जिससे कही न कही हम तीनो ही भीतर से भयभीत तो थे किन्तु बाहर से पूर्णतया शांत दृष्टित हो रहे थे I घने जंगल में दूर दूर तक कही कोई ऐसा स्थान नहीं दृष्टित था जहाँ ठहर के रात्रि व्यतीत कर सकें I

घटित होती ऐसे घटनाओं के कारण अंतर में जन्म लेती विभिन्न आशंकाओं के मध्य ऐसे दुर्जन वन से हम सभी का शीघ्र अतिशीघ्र निकलना आवश्यक हो गया था अतः हम शनैः शनैः निरन्तर आगे बढ़ते रहे I हमारा आगे बढ़ना अत्यंत दुष्कर हो रहा था क्योकि वाइपर के कार्य न करने से और वाम पक्ष की हेड लाइट के न रहने से मार्ग में सामने कुछ भी स्पष्ट नहीं हो रहा था I तीव्रगामी हवाओं के कारण गाड़ी की गति भी प्रभावित हो रही थी I ऐसे झंझावात में गाड़ी के दुर्घटनाग्रस्त होने की पूर्ण सम्भावना थी I वृक्षों की डालियाँ ध्वस्त हो कर मार्ग को अवरुद्ध कर रही थी किन्तु उनसे भी किसी प्रकार से अपनी गाड़ी को सुरक्षित बचा कर आगे बढ़ रहे थे I तभी गाड़ी में पिछले भाग में हमारे अन्य साथियों ने लघु शंका आदि के लिए एक किनारे गाड़ी को कहीं रोकने के लिए कहा किन्तु उन की ओर कोई ध्यान न देते हुए हमने आगे बढ़ना जारी रखा क्योंकि पिछले भाग के दरवाजे बंद होने के कारण वे सभी बाहर हमारे साथ घटी घटनाओं से पूर्णतया अनभिज्ञ थे I हमारी ओर से कोई प्रतिक्रिया न होने से वे गाड़ी को पूर्ण प्रयास से अंदर से थपथपाने लगे जिससे हम उस ध्वनि को सुन के गाड़ी कहीं रोक दे I इस समय कहीं भी गाड़ी को रोकना हम सभी के लिए अनिष्टकारक सिद्ध हो सकता था इसलिए उनकी ओर से ध्यान हटा के हमने आगे बढ़ना जारी रखा I
व्यतीत होते प्रत्येक क्षण के साथ ही बारिश की तीव्रता भी मंद पड़ने लगी I बारिश के मंद होने से हवाओं की तीव्रता पर और उनसे होने वाले कोलाहल पर भी अंकुश लगना प्रारंभ हो गया I विपरीत परस्थितयों में भी अत्यंत सावधानीपूर्वक हम निरन्तर आगे बढ़ रहे थे क्योंकि शीघ्र ही किसी सुरक्षित स्थान पे पहुंचना अति आवश्यक हो गया था I मार्ग में बड़े बड़े वृक्षों के जड़ से उखड़ जाने के कारण यात्रा में बाधा आ रही थी किन्तु किसी प्रकार स्याम रात्रि में क्षीण प्रकाश में यात्रा जारी थी I बारिश भी थम चुकी थी और कुछ समय पूर्व भीषण झंझावात ने प्रलय का जो दृश्य प्रस्तुत किया था उसके अनेक चिन्ह चारों ओर बिखरे हुए थे I हम लोगों के अंतर में समाहित भय और शंका से मुक्ति तब तक संभव नहीं थी जब तक हम सभी किसी पूर्ण सुरक्षित स्थान पर नहीं पहुंच जाते I

स्यामल निशा के अंधेरों से संघर्ष करती हुई हमारी गाड़ी अपनी एकमात्र हेडलाइट के प्रकाश में वन्य क्षेत्र के मार्ग पर मंद गति से दौड़ रही थी I अब दूर तक बिखरे वृक्षों के मध्य सघनता कम होने लगी I वृक्षों की गिरी हुई शाखाओं और जड़ से उखड़े हुए भीमकाय वृक्षों के मध्य मार्ग से होती हुई हमारी गाड़ी अत्यंत सावधानीपूर्वक अपनी यात्रा को जारी रखे थी I मार्ग के किनारे वृक्षों के मध्य बढ़ती दूरियों के साथ कहीं कहीं खेतों के चिन्ह भी दृष्टित होने लगे किन्तु अभी भी आबादी वाले क्षेत्र से दूर थे I विश्राम करने के लिए अभी भी कोई उपयुक्त स्थान नहीं दृष्टिगोचर हो रहा था जो पूर्णयता सुरक्षित हो I भयानक झंझावात ने जो विनाश लीला की थी , वो दूर दूर तक स्पष्ट दृष्टित हो रही थी I

बारिश की तीव्रता मंद पड़ गई थी I यूँ प्रतीत हो रहा था कि प्रकृति अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर गर्व से मंद मंद मुस्करा रही हो I हम निशब्द हो एक ऐसे सुरक्षित स्थान की खोज में आगे बढ़ते जा रहे थे जहाँ सम्पूर्ण रात्रि व्यतीत कर सकें और अपनी पूरी टीम के सदस्यों को किसी भी अनिष्टकारी दुर्घटना से बचा सकें I कुछ समय के पश्चात् हमारी गाड़ी वन्य क्षेत्र को पीछे छोड़ती हुई छोटे छोटे खेतों के मध्य से निकलती हुई आबादी वाले क्षेत्रों में प्रस्थान कर गयी I यद्यपि बारिश की तीव्रता अवश्य मंद हुई थी तथापि बारिश अभी भी जारी थी I अकस्मात हम तीनो की दृष्टि सामने मार्ग में दूर से आते हुए प्रकाश पुंज पे पड़ी I विनोद ने गाड़ी की गति बढ़ा दी क्यों की हम शीघ्र अति शीघ्र उस स्थान पे पहुंच जाना चाहते थे जहाँ से प्रकाश आ रहा था I हम सभी जब उस स्थान के निकट पहुंचे तो हमे कुछ संतोष मिला क्योंकि उस स्थान पर किसी का विवाह कार्यक्रम संपन्न हुआ था इसलिए प्रकाश की पूर्ण व्यवस्था थी किन्तु भीषण झंझावात के कारण इस कार्यक्रम में भी व्यवधान उत्पन्न हुआ होगा जो हमारे समक्ष स्पष्ट दृष्टित हो रहा था I विवाह में सम्मिलित अतिथि गण इस झंझावात से स्यंव को बचा के सुरक्षित स्थानों पर चले गए थे वहां कोई भी बाहर नहीं दिख रहा था I भिन्न भिन्न स्थानों में कुर्सियां और मेजें अस्त व्यस्त पड़ी हुई थी I बारिश और तूफानी हवाओं के दबाब से पंडालों की दुर्दशा हो गई थी I बारिश में सब कुछ धवस्त हो चुका था I
प्रकाश की व्यवस्था सही होने के कारण हमे ये स्थान रात्रि व्यतीत करने के लिए उपयुक्त और सुरक्षित प्रतीत हुआ अतः विनोद ने वहीं एक किनारे गाड़ी रोक दीI गाड़ी में पीछे बैठे टीम के अन्य सदस्यों को बाहर निकाला वो सभी मार्ग में घटी घटनाओं से अनभिज्ञ थे इसलिए यात्रा के मध्य गाड़ी को ना रोकने से अत्यंत व्यथित और क्रोधित थे किन्तु जब उन्हें सम्पूर्ण घटनाओं से परिचित कराया गया तो वे शांत हुए I हम सभी ने इस सुरक्षित स्थान पर पहुंच कर पूरी रात्रि वहीं व्यतीत की और सभी के सुरक्षित रहने और किसी के साथ किसी भी प्रकार का अनिष्ट ना होने के लिए प्रभु को धन्यवाद दिया I ईश्वर की असीम अनुकम्पा से ऐसी भयंकर और तूफानी रात में हम सभी बियाबान वन्य क्षेत्र में अपने साथ घटित होती अद्भुत और विचित्र घटनाओं के मध्य स्वयं को सुरक्षित रखने में सफल हो सके I आज भी उस रात्रि का स्मरण होने पर रोंगटे खड़े हो जाते है और वो समस्त दृश्य किसी चलचित्र की भांति हमारे समक्ष प्रस्तुत हो जाते है

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Language: Hindi
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Bindesh kumar jha
मन की बुलंद
मन की बुलंद
Anamika Tiwari 'annpurna '
कोहरा और कोहरा
कोहरा और कोहरा
Ghanshyam Poddar
अनेकता में एकता 🇮🇳🇮🇳
अनेकता में एकता 🇮🇳🇮🇳
Madhuri Markandy
समझौता
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Shyam Sundar Subramanian
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