Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Jun 2022 · 1 min read

एक तस्वीर कि अव्वल नहीं देखी जाती

एक तस्वीर कि अव्वल नहीं देखी जाती
देख भी लूँ तो मुसलसल नहीं देखी जाती

देखी जाती है मोहब्बत में हर इक जुम्बिश-ए-दिल
सिर्फ़ साँसों की रिहर्सल नहीं देखी जाती

इक तो वैसे बड़ी तारीक है ख़्वाहिश-नगरी
फिर तवील इतनी कि पैदल नहीं देखी जाती

ऐसा कुछ है भी नहीं जिस से तुझे बहलाऊँ
ये उदासी भी मुसलसल नहीं देखी जाती

सामने इक वही सूरत नहीं रहती अक्सर
जो कभी आँख से ओझल नहीं देखी जाती

मैं ने इक उम्र से बटवे में सँभाली हुई है
वही तस्वीर जो इक पल नहीं देखी जाती

अब मिरा ध्यान कहीं और चला जाता है
अब कोई फ़िल्म मुकम्मल नहीं देखी जाती

इक मक़ाम ऐसा भी आता है सफ़र में ‘जव्वाद’
सामने हो भी तो दलदल नहीं देखी जाती

@जव्वाद शैख़

Language: Hindi
1 Like · 184 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

शून्य से शिखर तक
शून्य से शिखर तक
शशि कांत श्रीवास्तव
मनीआर्डर से ज्याद...
मनीआर्डर से ज्याद...
Amulyaa Ratan
D
D
*प्रणय*
कृष्ण कन्हैया लाल की जय
कृष्ण कन्हैया लाल की जय
Vibha Jain
एक ही बात याद रखो अपने जीवन में कि ...
एक ही बात याद रखो अपने जीवन में कि ...
Vinod Patel
मैंने दारू चढ़ाई मज़ा आ गया
मैंने दारू चढ़ाई मज़ा आ गया
आकाश महेशपुरी
योगी बन जा
योगी बन जा
Rambali Mishra
"दुःख-सुख"
Dr. Kishan tandon kranti
हुनर से गद्दारी
हुनर से गद्दारी
भरत कुमार सोलंकी
3932.💐 *पूर्णिका* 💐
3932.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
*शिवोहम्*
*शिवोहम्* "" ( *ॐ नमः शिवायः* )
सुनीलानंद महंत
धर्म अधर्म की बाते करते, पूरी मनवता को सतायेगा
धर्म अधर्म की बाते करते, पूरी मनवता को सतायेगा
Anil chobisa
*पत्थर तैरे सेतु बनाया (कुछ चौपाइयॉं)*
*पत्थर तैरे सेतु बनाया (कुछ चौपाइयॉं)*
Ravi Prakash
मैं मज़दूर हूँ
मैं मज़दूर हूँ
कुमार अविनाश 'केसर'
सोच रहा अधरों को तेरे....!
सोच रहा अधरों को तेरे....!
singh kunwar sarvendra vikram
तमाम उम्र अंधेरों में कटी थी,
तमाम उम्र अंधेरों में कटी थी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
* मंजिल आ जाती है पास *
* मंजिल आ जाती है पास *
surenderpal vaidya
अब तो चले आओ कि शाम जा रही है।
अब तो चले आओ कि शाम जा रही है।
Jyoti Roshni
बाहिर से
बाहिर से
सिद्धार्थ गोरखपुरी
कितने चेहरे मुझे उदास दिखे
कितने चेहरे मुझे उदास दिखे
Shweta Soni
ग़ज़ल - बड़े लोगों की आदत है!
ग़ज़ल - बड़े लोगों की आदत है!
Shyam Vashishtha 'शाहिद'
एक माँ के अश्कों से
एक माँ के अश्कों से
Ahtesham Ahmad
वक्त के साथ-साथ चलना मुनासिफ है क्या
वक्त के साथ-साथ चलना मुनासिफ है क्या
कवि दीपक बवेजा
शर्तों मे रह के इश्क़ करने से बेहतर है,
शर्तों मे रह के इश्क़ करने से बेहतर है,
पूर्वार्थ
मैंने नींदों से
मैंने नींदों से
Dr fauzia Naseem shad
नसीब में था अकेलापन,
नसीब में था अकेलापन,
Umender kumar
आज फिर दर्द के किस्से
आज फिर दर्द के किस्से
Shailendra Aseem
“अधूरी नज़्म”
“अधूरी नज़्म”
Meenakshi Masoom
जब जब तुझे पुकारा तू मेरे करीब हाजिर था,
जब जब तुझे पुकारा तू मेरे करीब हाजिर था,
Chaahat
टेलिस्कोप पर शिक्षक सर्वेश कांत वर्मा जी और छात्रों के बीच ज्ञानवर्धक चर्चा
टेलिस्कोप पर शिक्षक सर्वेश कांत वर्मा जी और छात्रों के बीच ज्ञानवर्धक चर्चा
Dr Nisha Agrawal
Loading...