एक टहनी एक दिन पतवार बनती है,
एक टहनी एक दिन पतवार बनती है,
एक चिंगारी दहक कर अंगार बनती हैं।
पांव से रौंदी गई बेकार समझ कर,
एक दिन वही मिट्टी मीनार बनती है।
✍️ श्लोक “उमंग “✍️
एक टहनी एक दिन पतवार बनती है,
एक चिंगारी दहक कर अंगार बनती हैं।
पांव से रौंदी गई बेकार समझ कर,
एक दिन वही मिट्टी मीनार बनती है।
✍️ श्लोक “उमंग “✍️