एक छोटी सी बह्र
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एक छोटी सी बह्र।
ढा रही है क्या कहर।
तीन मिनटों में लिखी,
या लगा इसमें पहर।
शब्द सुरभित सी सहर।
छंद बलखाती नहर।
ध्यान से लिखना सखे!
भाव जाएँ ना ठहर।
🙏😃🤗😃🙏
आसमां चमके क़मर।
फूल मंडराता भँवर।
देख कलियाँ चूमता,
है हिमाकत भी हुनर।
इश्क़ बूँदों की ग़ज़ल।
मिल नहीं पाती मजल।
ज़िन्दगी की धूप में,
चाहिए दिल को फ़ज़ल ।
देख तेरा मन विमल
खिल गया ‘नीलम’ कमल।
नम हुईं आँखें तेरी,
क्यों हुआ ये मन विह्वल।
नीलम शर्मा ✍️
सुरभित -सुवासित, सुगंधित
सहर- सुबह
फ़ज़ल -कृपा
मजल- मंजिल