एक गुलाब
एक गुलाब हमारा भी था,
जो खिला था उनके चमन में ।
प्रेम सें सींचा गया,
विश्वास की खाद से,
पोषित हुआ हमारा प्रेम भी ।
एक गुलाब हमारा भी था,
उनके चमन में।
—- डां. अखिलेश बघेल —-
दतिया ( म. प्र. )
एक गुलाब हमारा भी था,
जो खिला था उनके चमन में ।
प्रेम सें सींचा गया,
विश्वास की खाद से,
पोषित हुआ हमारा प्रेम भी ।
एक गुलाब हमारा भी था,
उनके चमन में।
—- डां. अखिलेश बघेल —-
दतिया ( म. प्र. )