एक गीत सुनाना मैं चाहूं
बिछुड गए हैं जो जग से, लौट कोई भी मिलता ना,
एक गीत सुनाना मैं चाहूं, कोई आके राग भी सुनता ना।।
तस्वीर छिपी है नैनों में, पर काश ! उन्हें मैं बना पाता,
लेकिन उनका भी क्या होता, जब देखन को भी कोई रुकता ना,
एक गीत सुनाना मैं चाहूं, कोई आके राग भी सुनता ना।।
भूल हुई भारी, जो हमसे रूंठ गये,कुछ छिपी हुई दास्तान, जो भूल गये,
लिख दी है एक बेगुनाही सांची, कोई सच्चेलेख भी पढ़ता ना,
एक गीत सुनाना मैं चाहूं, कोई आके राग भी सुनता ना।।
मिल जाओ हमें एक बार सजन, तस्वीर बनानी है हमको,
छिपे हुए दर्दों की दिल में, दास्तान सुनानी है तुमको,
जब छेद भी दिल में अनगिन हो, तो भरा प्यार भी छनता ना,
एक गीत सुनाना मैं चाहूं, कोई आके राग भी सुनता ना।।