Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Jun 2022 · 2 min read

एक गलती ( लघु कथा)

एक गलती ( लघु कथा)
*******************
दयाशंकर के चौथे बेटे की शादी का जब अवसर आया तो समस्या यह खड़ी हुई कि बहू के लिए कमरा कहां बनवाया जाए ? पूरा घर छोटे-छोटे टुकड़ों में बँट चुका था । सब जगह कमरे बने हुए थे । आंगन के नाम पर कुछ बचा नहीं था ।
“ऐसा करो !अपना कमरा बहू को दे देते हैं। हम लोग जो कबाड़ वाला टीन का कमरा है, उसमें खटिया डाल लेंगे ।” – पत्नी ने जब यह कहा तो दयाशंकर के रोंगटे खड़े हो गए।
बोले” क्या कह रही हो? वह कोई रहने लायक जगह है?”
” अब शादी भी तो करनी है… और हमारा क्या ,जैसे भी रह लेंगे लेकिन बहू के लिए तो कुछ ठीक-ठाक कमरा होना ही चाहिए।”
दयाशंकर सोच में पड़ गए । उन्हें याद आया आज से 25 साल पहले का वह दौर, जब घर में बहुत बड़ा आंगन था और आंगन में अमरूद का एक बड़ा सा पेड़ भी था। दयाशंकर और उनके पांचों भाई खूब अमरूद के पेड़ पर चढ़- चढ़ कर अमरुद तोड़ते थे और खाते थे । दिन भर घर में उधम चौकड़ी मची रहती थी । गर्मियों में भी खूब ठंडी हवा आंगन में चलती थी और सब चारपाई डाल कर बैठते थे। छिड़काव करते थे। छत खुली हुई थी। छत पर कोई कमरा आदि नहीं बना था। क्या जमाना था ! दयाशंकर ने ठंडी सांस ली …फिर छह भाइयों में सब कुछ बँट गया । छोटे छोटे कमरे सब के हिस्सों में आए। दो भाई तो बाहर नौकरी पर चले गए ।बचे चार ,उनमें से भी एक ने अपना अलग मकान बना लिया। तीन भाइयों में घर बड़ा होते हुए भी जब बँटा तो आंगन कुछ नहीं बचा ।
दयाशंकर ने अपनी पत्नी से कहा” काश! हमने 25 साल पहले परिवार के बारे में कुछ सोचा होता ! अपनी आमदनी को सोच कर अपने परिवार को बढ़ाया होता , तो आज यह दिन न देखना पड़ता ”
पत्नी ने कहा “सचमुच अगर हमारे सिर्फ एक बच्चा होता तो कोई समस्या नहीं आती। कितना बड़ा घर होता और कितना सुखी परिवार होता। अब क्या किया जाए ! ”
“चलो -चलो ! कबाड़ वाले टीन के कमरे में खटिया डालने का इंतजाम करो।” दयाशंकर ने अपने आंसू छिपाते हुए पत्नी से कहा ।
“””””””””””””””””””‘”‘””””””””””””””””””””””””””
लेखक : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा, रामपुर( उत्तर प्रदेश )मोबाइल 99976 15451

Language: Hindi
736 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

चाहे कुछ भी हो अंजाम
चाहे कुछ भी हो अंजाम
Abasaheb Sarjerao Mhaske
टूटे तारों से कुछ मांगों या ना मांगों,
टूटे तारों से कुछ मांगों या ना मांगों,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
विषय:मैं आज़ाद हूँ।
विषय:मैं आज़ाद हूँ।
Priya princess panwar
मैं सोचता हूँ कि आखिर कौन हूँ मैं
मैं सोचता हूँ कि आखिर कौन हूँ मैं
VINOD CHAUHAN
~~~~हिन्दी गजल~~~~
~~~~हिन्दी गजल~~~~
Surya Barman
चांद तारों ने कहकशां  लिख दी ,
चांद तारों ने कहकशां लिख दी ,
Neelofar Khan
नारी सृष्टि कारिणी
नारी सृष्टि कारिणी
लक्ष्मी सिंह
बेरंग सी जिंदगी......
बेरंग सी जिंदगी......
SATPAL CHAUHAN
अधूरी
अधूरी
Naushaba Suriya
"खुदा रूठे तो"
Dr. Kishan tandon kranti
*आत्मा की वास्तविक स्थिति*
*आत्मा की वास्तविक स्थिति*
Shashi kala vyas
जब बनना था राम तुम्हे
जब बनना था राम तुम्हे
ललकार भारद्वाज
सावन की बारिश
सावन की बारिश
Rambali Mishra
जो रास्ते हमें चलना सीखाते हैं
जो रास्ते हमें चलना सीखाते हैं
कवि दीपक बवेजा
जीवन का जीवन
जीवन का जीवन
Dr fauzia Naseem shad
बुद्ध में कुछ बात तो है!
बुद्ध में कुछ बात तो है!
Shekhar Chandra Mitra
भारत का सिपाही
भारत का सिपाही
Rajesh
এটি একটি সত্য
এটি একটি সত্য
Otteri Selvakumar
लायर विग
लायर विग
AJAY AMITABH SUMAN
अभी नहीं पूछो मुझसे यह बात तुम
अभी नहीं पूछो मुझसे यह बात तुम
gurudeenverma198
समय का इंतज़ार
समय का इंतज़ार
अनिल "आदर्श"
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
क्यों शमां मुझको लगे मधुमास ही तो है।
क्यों शमां मुझको लगे मधुमास ही तो है।
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
हीर मात्रिक छंद
हीर मात्रिक छंद
Subhash Singhai
मेरी  हर इक शाम उम्मीदों में गुजर जाती है।। की आएंगे किस रोज
मेरी हर इक शाम उम्मीदों में गुजर जाती है।। की आएंगे किस रोज
★ IPS KAMAL THAKUR ★
चुनावी मौसम
चुनावी मौसम
गुमनाम 'बाबा'
हार जीत
हार जीत
Sudhir srivastava
*देखा यदि जाए तो सच ही, हर समय अंत में जीता है(राधेश्यामी छं
*देखा यदि जाए तो सच ही, हर समय अंत में जीता है(राधेश्यामी छं
Ravi Prakash
भारत का परचम
भारत का परचम
सोबन सिंह रावत
😢महामूर्खता😢
😢महामूर्खता😢
*प्रणय*
Loading...