एक कुर्सी के भूखे हम —आर के रस्तोगी
( तू प्यार का सागर है,तेरी एक बूँद के प्यासे हम की तर्ज पे एक पैरोडी आज के चुनाव के माहौल में )
एक कुर्सी के भूखे हम |
तेरे खून के प्यासे हम ||
अब इकठ्ठे हो गये हम |
अब तेरी टांग खीचेगे हम ||
चाहे कितना जोर लगा ले |
चाहे कितना शोर मचा ले ||
अब सुनेगे ना तेरी हम |
एक कुर्सी के भूखे हम |
तेरे खून के प्यासे हम ||
चाहे तू कितना कमल खिला ले |
चाहे भू से आकाश से मिला ले ||
चाहे तू कितना विकास कर ले |
चाहे सबके साथ कदम मिला ले ||
तेरी राहो में रोड़े अटकाये हम |
एक कुर्सी के भूखे हम |
तेरे खून के प्यासे हम ||
चाहे कितनी रेड लगवा ले |
चाहे जजों को साथ मिला ले ||
चाहे पुलिस का जाल बिछवा दे |
चाहे जिन्दा हमको जलवा दे ||
तुझे एक कौड़ी न देगे हम |
एक कुर्सी के भूखे हम |
तेरे खून के प्यासे हम ||