एक कविता उनके लिए
कमी को दुरुस्त करना
अलग बात है
जता कर ठगना
अलग बात है
दिल में कोई बात हो तो कह देना
वाज़िब है
किंतु कितनी ठेस पहुँचेगी
ये सोचकर न कहना
अलग बात है
सम्बल देकर बात सुधारना
अलग बात है
बात को कटार सा चलाकर
सीधा सीने में घोंप देना
अलग बात है
ठिगना सा है वजूद मेरा
भान है मुझे
किंतु चींटी को इसका एहसास करवाना
अलग बात है
कूदता रौंदता मदमस्त हाथी रोज
उसी की नाक में दम करना
अलग बात है
नश्तर सी चुभ जाती है बात
खैर स्वाभिमान पर आई
आँच को टालना
अलग बात है
थप्पड़ मारने के बाद क्षमा माँगना
अलग बात है
यूँ तो क्या गम रखूँ कि कोई नहीं
गम को छुपाना
अलग बात है
बात बेबात टोकना हद की शुरुआत है
अपनी हद में रहना
अलग बात है
लाख कमियाँ हैं मेरी कलम में
भावों को शब्दों में पिरो लेता हूँ
अलग बात है
हर मोड़ पर मिल ही जाते हैं नुक्ताचीनी
करने वाले
कोई तुम्हारे शब्दों के मर्म तक जा पाए
ये अलग बात है
यूँ तो ना मैं शायर हूँ ना कवि हूँ
कहने को मन हल्का करता हूँ
खुद को कोरे पन्नों पर उकेर पाता हूँ
ये अलग बात है
खुद को कोरे पन्नों पर उकेर पाता हूँ
ये अलग बात है
भवानी सिंह “भूधर”
बड़नगर, जयपुर
दिनाँक:- २७/०३/२०२४