Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Feb 2022 · 1 min read

*एक आकर्षण हमें (भक्ति गीत)*

एक आकर्षण हमें (भक्ति गीत)
■■■■■■■■■■■■■■
एक आकर्षण हमें चुपचाप खींचे जा रहा
(1)
तुमसे मिलन की चाह, तुमको तो कभी देखा नहीं
आकार दूँ कैसे तुम्हें, तुम में परिधि-रेखा नहीं
एक अमृत प्यार को अविराम सींचे जा रहा
एक आकर्षण हमें चुपचाप खींचे जा रहा
(2)
एक जादू- सा हृदय में रोज आकर कर रहे
एक मस्ती रोज तुम गहराइयों में भर रहे
नेत्र मन के पार आकर कोई मींचे जा रहा
एक आकर्षण हमें चुपचाप खींचे जा रहा
(3)
अनुलोम और विलोम इसको या कहें जीवन-कथा
जिस दिन मिले तो हर्ष, अनुपस्थित रहे तो है व्यथा
मुठ्ठियों को एक शिशु जैसे कि भींचे जा रहा
एक आकर्षण हमें चुपचाप खींचे जा रहा
■■■■■■■■■■■■■■■■■■
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

274 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
सलाम
सलाम
Dr.S.P. Gautam
...,,,,
...,,,,
शेखर सिंह
कई बात अभी बाकी है
कई बात अभी बाकी है
Aman Sinha
जिसके पास कोई चारा न हो
जिसके पास कोई चारा न हो
Sonam Puneet Dubey
दिल में एहसास
दिल में एहसास
Dr fauzia Naseem shad
मैं भी कोई प्रीत करूँ....!
मैं भी कोई प्रीत करूँ....!
singh kunwar sarvendra vikram
किसी के लिए आफ़त है..
किसी के लिए आफ़त है..
Ranjeet kumar patre
#कहानी- (रिश्तों की)
#कहानी- (रिश्तों की)
*प्रणय*
Mksport là một trong những nhà cái c&aa
Mksport là một trong những nhà cái c&aa
MKSport
मन्दिर में है प्राण प्रतिष्ठा , न्यौता सबका आने को...
मन्दिर में है प्राण प्रतिष्ठा , न्यौता सबका आने को...
Shubham Pandey (S P)
*पुस्तक समीक्षा*
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
3527.*पूर्णिका*
3527.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
🌷🌷  *
🌷🌷 *"स्कंदमाता"*🌷🌷
Shashi kala vyas
किसी भी व्यक्ति के अंदर वैसे ही प्रतिभाओं का जन्म होता है जै
किसी भी व्यक्ति के अंदर वैसे ही प्रतिभाओं का जन्म होता है जै
Rj Anand Prajapati
जिंदगी के तराने
जिंदगी के तराने
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मेरे खिलाफ वो बातें तमाम करते हैं
मेरे खिलाफ वो बातें तमाम करते हैं
पूर्वार्थ
संचित सब छूटा यहाँ,
संचित सब छूटा यहाँ,
sushil sarna
सुलोचना
सुलोचना
Santosh kumar Miri
ब्राह्मण
ब्राह्मण
Sanjay ' शून्य'
क्या कहें,देश को क्या हो गया है
क्या कहें,देश को क्या हो गया है
Keshav kishor Kumar
"चाँद का टुकड़ा"
Dr. Kishan tandon kranti
नया विज्ञापन
नया विज्ञापन
Otteri Selvakumar
मुक्ति
मुक्ति
Amrita Shukla
वो तुम्हारी पसंद को अपना मानता है और
वो तुम्हारी पसंद को अपना मानता है और
Rekha khichi
फूल
फूल
डॉ माधवी मिश्रा 'शुचि'
"" *श्री गीता है एक महाकाव्य* ""
सुनीलानंद महंत
राह के कंकड़ अंधेरे धुंध सब छटती रहे।
राह के कंकड़ अंधेरे धुंध सब छटती रहे।
सत्य कुमार प्रेमी
लेकिन कैसे हुआ मैं बदनाम
लेकिन कैसे हुआ मैं बदनाम
gurudeenverma198
ಒಂದೇ ಆಸೆ....
ಒಂದೇ ಆಸೆ....
ಗೀಚಕಿ
दोहे
दोहे
Suryakant Dwivedi
Loading...