*एक आकर्षण हमें (भक्ति गीत)*
एक आकर्षण हमें (भक्ति गीत)
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एक आकर्षण हमें चुपचाप खींचे जा रहा
(1)
तुमसे मिलन की चाह, तुमको तो कभी देखा नहीं
आकार दूँ कैसे तुम्हें, तुम में परिधि-रेखा नहीं
एक अमृत प्यार को अविराम सींचे जा रहा
एक आकर्षण हमें चुपचाप खींचे जा रहा
(2)
एक जादू- सा हृदय में रोज आकर कर रहे
एक मस्ती रोज तुम गहराइयों में भर रहे
नेत्र मन के पार आकर कोई मींचे जा रहा
एक आकर्षण हमें चुपचाप खींचे जा रहा
(3)
अनुलोम और विलोम इसको या कहें जीवन-कथा
जिस दिन मिले तो हर्ष, अनुपस्थित रहे तो है व्यथा
मुठ्ठियों को एक शिशु जैसे कि भींचे जा रहा
एक आकर्षण हमें चुपचाप खींचे जा रहा
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451