एक अलग ही दुनिया
एक ..अलग भी …..दुनियाँ
बनाई है……… विधाता ने ।
जैसे ……..
पेड़ की फुनगी हों
जहाँ केवल चिड़ियाँ बैठ सकती हैं।
जैसे………
तितलियों की अनसुनी खिलखिलाहटें
बेख़ौफ़ बिंदास खुशियो के मेले हों।
संग…..
एक-दूजे पर खुल कर आती मुस्काहटें हों
झुमकों-सी डोलती पायजेब-सी छनकती हों।
जैसे……………
स्वर्ण मृग का झूंड अनायास ही
दौड़ पड़े किसी एक दिशा की ओर।
बेटियाँ ऐसी ही भावनाओं का नाम है।
संगीता बैनीवाल