एकीकरण की राह चुनो
सुनो-सुनो.., सुनो-सुनो…
सुनो प्रजापति, सुनो-सुनो…
याद करो निज गौरव गाथा, निज कुल पर अभिमान करो।
सुनो दक्ष के वंशज अब तो एकीकरण की राह चुनो।
सुनो-सुनो…………………..
ध्यान धरो तुम उन पुरखों के, जिसने मान बढ़ाए थे।
देश-काल और निज कुल खातिर,अपने प्राण गवांए थे।
राग द्वेष और भेद मिटाकर,चाक चिह्न तुम आज चुनो।
सुनो दक्ष के वंशज………………
सुनो-सुनो,……………………….
एक वीर वो बालक जिसने, राष्ट्र ध्वज फहराया था।
देवरिया की धरती से है सबका मान बढ़ाया था।
भूला रहे क्यों रत्नप्पा को,संतराम की बात गुनो।
सुनो दक्ष के…………………..
सुनो-सुनो,…………………….
ध्यान रखो इस मातृभूमि के शिल्पकार हो सबसे बड़े।
“जटा”वही फिर बिगुल बजा दो, हो जाओ इक साथ खड़े।
एक-एक यूं अलग-अलग हो, होगा ना कल्याण सुनो।
सुनो दक्ष के वंशज………………
सुनो-सुनो, सुनो-सुनो……………
सुनो दक्ष के…………………….
✍️जटाशंकर”जटा”