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28 Jun 2024 · 1 min read

एकांत

जिंदा हुआ हूं कई बार मर कर,
डर से लड़ा हूं कई बार गिरकर।
खुद से खुदी को जाना है,
अब बस सुकू से जीना है।
चांद से करना क्या मुझको
सारी जमीं मेरे पास है।
मुझको न किसी से आस है,
जो खास है वो पास है।
न महक,न नफरत,न प्रेम तुमसे चाहिए।
मैने खुदी को पा लिया , सब कुछ खुदी से चाहिए।।

Language: Hindi
15 Views
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