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13 May 2024 · 1 min read

ऋतु बसंत

प्रकृति ने की है संपूर्ण तैयारी,
अब है ऋतु बसंत की बारी।
सरसों ने स्वागत में इसके पीली चादर डारी,
शीत ऋतु अब आसान छोड़ो, है ऋतुराज की बारी,
अब है ऋतु बसंत की बारी।
मदमस्त पवन ऐसे चले, जैसे कोई संदेश कहे,
और झूम तारु सारी।
बोरौं के गुलदस्ते संग आम के वृक्ष कर रहे तैयारी,
अब है ऋतु बसंत की बारी ।
मोरों का नाच भौरों का गुंजन और कूकें कोयल काली, महुआ भी फूलन को बेकल देखें अपनी बारी,
अब है ऋतु बसंत की बारी।
लहर लहर लहराए खेतों में गेहूं की बाली,
पलाश संग ना जाने कितने देखें अपनी बारी,
अब है ऋतु बसंत की बारी
धवल वस्त्र आसन कमल मां सरस्वती है इसकी प्रभारी, पीले वस्त्र धारण किए हम ले केसरिया भात की थाली,
करते हैं हम स्वागत ,लो आ गई बसंत ऋतु प्यारी।
लो आ गयी बसंत ऋतु प्यारी।।
करूणा

Tag: Poem
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