ऊर्जा का सार्थक उपयोग कैसे करें। रविकेश झा
नमस्कार दोस्तों आज बात कर रहे हैं ऊर्जा का सार्थक उपयोग कैसे करें ,कैसे हम जीवन को आनंदित की ओर बढ़े कैसे अपने शरीर मन बुद्धि से परे जाएं कैसे ध्यान के ओर बढ़ते रहे कैसे जीवन का सार्थक उपयोग करें जीवन की आंतरिक यात्रा कैसे करें स्वयं कैसे जिएं। कैसे अपने जीवन को स्पष्ट रूप से देखें। स्पष्टता कैसे लाएं समय और ऊर्जा का सार्थक उपयोग और जागरूकता पर बात करेंगे।
अपने शरीर बुद्धि भावना नियंत्रण नहीं करना है, बस देखना है। नियंत्रण किसको करना है नियंत्रण के लिए दो चाहिए, लेकिन यहां मैं एक की बात कर रहा हूं, इसके लिए हमें जीवन में जागरूकता चाहिए, तभी हम इस सबसे परे जा सकते हैं। और सब में खोकर भी एक होने की बात कह रहा हूं। बस एक आकाश के तरह सब उसके अंदर है सबको समेटा हुआ है एक किया हुआ है। जानना होगा संदेह करना होगा तर्क भी देना होगा, तभी हम हृदय तक पहुंच सकते हैं।
लेकिन उसके लिए तर्क बुद्धि के साथ जागरूकता भी लाना होगा। आंख को पूर्ण खोलना होगा। तभी हम जागृत के तरफ बढ़ सकते हैं। अभी हम बेहोश में जीते हैं बेहोश का मतलब हम अचेतन मन में अधिक रहते हैं और फ़ैसला इसी मन से करते हैं। हमें मन के भाग को जानना होगा मन का अलग अलग भाग है इसके लिए हमें जागरूकता चाहिए। हम प्रतिदिन जीवन जी रहे हैं लेकिन हम दोहरा रहे हैं बस कैसे भी जी रहे हैं और दुःख को दमन करते हैं अंदर खींचते हैं तनाव बढ़ता जाता है। क्योंकि हमें पता ही नहीं कैसे जीना है कैसे जीवन में बदलाव लाया जाए कैसे बुद्धि मन को जाना जाए।
कैसे हम भी आनंद और जीवन की आंतरिक यात्रा की तरफ बढ़े कैसे तर्क हृदय को में जाने। ये सब प्रश्न उठाना होगा, जागना होगा। आपके जीवन में भरपूर आनंद है बह रहा है नदी आपके सामने से बस आपको डुबकी लगाना है समुंद्र भी दिख जायेगा। बस जागरूकता लाना है, अचेतन अवचेतन चेतना ये सब मन का भाग है सब परमात्मा के बनाया हुआ माया जाल है। बस हमें डुबकी लगाना है, ये आपको करना होगा जागृत लाना होगा। सभी मन को स्वीकार करना होगा। जो भी हो रहा है उसके प्रति कृतज्ञ होना होगा। कामना व करुणा को समझना परेगा। तभी आप आंतरिक यात्रा पर जा सकते हैं। भय होगा क्योंकि ध्यान करना होगा स्वयं का, सब खोना होगा, जो बाहरी कड़ियां हैं उसे हटना होगा, किसी व्यक्ति से नहीं लड़ना है या त्याग नहीं करना है, मैं त्याग के ऊपर लिख चुका हूं उसे आप पढ़े। बस देखना है सबको स्वीकार करना है। अपने आपको देखें अंदर झांके और निर्णय तुरंत नहीं करना है, बस देखते जाना है।
एक ऐसा स्थिति आएगा जब न कोई निर्णय बचेगा और न ही निर्णय करने वाला , बस 0 शून्य बचेगा। वही आपका असली स्वरूप है वही सत्य वही आपका धन वही आपका संबंध वही आपका सब कुछ, लेकिन यहां तक पहुंचने के आपको जागरूकता से मित्रता करना होगा। ध्यान में प्रवेश करना है ध्यान यानी बुद्धि को न अपना मित्र न ही दुश्मन बस जैसा है वैसे देखना है। ऊर्जा का सार्थक उपयोग करना चाहिए क्योंकि ऊर्जा ही चेतना का रूप है और पदार्थ से ऊर्जा और ऊर्जा से चेतना तक का सफर करना होगा। चयन आपको करना है और नतीजा आपको आंतरिक मिलेगा न की बाहरी।
इसीलिए हम डरते हैं क्या मिलेगा क्या खोना होगा, हम इसी में फसे रह जाते हैं। क्योंकि बाहर तो कुछ नहीं दिखता सब अंदर का बात करते हैं आपको अभी समझ नहीं आएगा। क्योंकि आप पृथ्वी में जी रहे हैं आकाश का कुछ पता ही नहीं। भय को देखना होगा जागना होगा। अभी नवरात्रि चल रहा है आपको अच्छा मौका है ध्यान की ओर बढ़े और जीवन में आनंदित महसूस करे। जीवन मौका दे रहा है फायदा आपको देखना होगा। जीवन मिला है बस जागरूकता लाना है। त्याग नहीं करना है जैसे आप अभी हैं बस उसी रूप को स्वीकार करें बस स्वीकार करना है जागना है भागना नहीं है।