उड़ान पर दोहे
उड़ान पर दोहे
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लक्ष्य शिखर पर हो सदा,ऊँची रहे उड़ान।
तभी मिले जग में तुझे,मानव निज पहचान।।
जब उड़ान भरता मनुज,मन में धर के धीर।
लक्ष्य स्वतःआकर मिले,बदले सब तस्वीर।।
है उड़ान की रित यह,प्रबल प्रखर हो पंख।
जब करना शुरुवात तो,पूज्य बजाना शंख।।
थककर वापिस आ रहे,भरकर श्रमिक उड़ान।
दाना पानी के बिना,बचे कहाँ अब जान।।
ध्यान सदा रखकर चलो,राह में कोहिनूर।
वरना सतत उड़ान से,रह जाओगे दूर।।
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रचनाकार- डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभावना,बलौदाबाजार(छ.ग.)
मो. 8120587822