उड़ाओ मत मजाक गरीब का
* उड़ाओ मत मज़ाक गरीब का *
**** 1222 1212 1212 ****
उड़ाओ मत मज़ाक तुम गरीब का,
खुदा मालिक सदैव बदनसीब का।
दुखी दिल की दवा दया रही सदा,
सदा देते साथ धीर खुशनसीब का।
सखा जैसा नही कभी मिला यहाँ,
बहुत प्यारा लगाव हो हबीब का।
हमें तो रोकती रूकावटें सदा,
न कोई रोकता सफ़र करीब का।
न मनसीरत अमीर है नसीब का,
घृणा करता रहे सजन रकीब का।
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सुखविंदर सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)