उड़न नमस्ते
उड़न नमस्ते ,सलूट सलाम ,कुछ का है चरण धड़ाम ।
किधर को जाता ,किधर से आता ,पता न पावें सीताराम।
कनवेंसिंग में अपार जनमत प्राप्त जेके हर पल रहेला,
अंदर से आवाज है आती कईसे जितेब ये मोरे राम।
कहत फिरत घूमत और झूमत हमरे माथे चन्दन हो जा।
कुछ कयास में हैं बइठे की उनहु के चरण वंदन हो जा।
कुछ ही दिन के बात बा ओकरे बाद पता रही का?
यह बार कुछ और हो जा लेकिन न चूके हलकानी जाम।
उड़न नमस्ते ,सलूट सलाम ,कुछ का है चरण धड़ाम।
सायटिका वाले मरीज, चरण धड़ाम के ना कह द।
उ पैर दबा के खुश करीहें ,ओकरे बाद तूँ हाँ कह द।
तनि नखरा जे देखईबा त सुकून रही सुबह और शाम।
उड़न नमस्ते ,सलूट सलाम ,कुछ का है चरण धड़ाम।
जगह जगह दुआ सलाम में देखा केतना बरकत बा।
अपने के PM समझे वालन के कईसे एतना फुरसत बा।
रह रह बदल जाता प्रोटोकॉल वाला पुरगराम ।
उड़न नमस्ते ,सलूट सलाम ,कुछ का है चरण धड़ाम।
– सिद्धार्थ पाण्डेय