उस्तरे की धार
क्या ‘वकील’
उस्तरे होते हैं,
जिनकी एक धार
‘वादी’ को
मुड़ने के लिए होती है,
तो दूसरी धार
‘प्रतिवादी’ को ?
….तो फिर सेवाभाव
कहाँ गयी ?
क्या ‘वकील’
उस्तरे होते हैं,
जिनकी एक धार
‘वादी’ को
मुड़ने के लिए होती है,
तो दूसरी धार
‘प्रतिवादी’ को ?
….तो फिर सेवाभाव
कहाँ गयी ?