उसको भी खुद में रहने देना….
उसको भी खुद में रहने देना
जीते जी ना मरने देना
जैसा भी वक्त हो
शायरी की ओ किताब पढ़ते रहना।
(अवनीश कुमार)
जलने दो जैसे जल रहे है
कम से कम हम
खुद के पैर पे चल रहे है।
उसको भी खुद में रहने देना
जीते जी ना मरने देना
जैसा भी वक्त हो
शायरी की ओ किताब पढ़ते रहना।
(अवनीश कुमार)
जलने दो जैसे जल रहे है
कम से कम हम
खुद के पैर पे चल रहे है।