उसको पाने की हसरत
उसको पाने के हँसी ख्वाबों को पाले बैठा हूँ;
आजकल मैं बड़ी कशमकश में रहता हूँ।
दिल को कितना समझाता हूँ;
पर राजी नहीं कुछ मानने के लिए,
अक्सर उसी के ख्यालों में खोया रहता हूँ।
उसकी मुस्कराने की अदा गजब-कातिलाना है;
उसके हंसी चेहरे को यादों में बसाए रहता हूँ।
चाहता हूं मैं ही शुरू करूँ;
इस पाक रिश्ता-ए-मोहब्बत को,
इसी उलझन में ही खुद ही उलझा रहता हूँ।
जब जब नजरों को उनकी नजरों से टकराया हूँ;
लाजमी है कि खुद ही खुद में मैं शरमाया हूँ।
रोज ही अपने दिल की दीवारों पर;
नाम उसका लिख लिख के मिटाया हूँ।
उसकी हर फ़ितरत का दिल दीवाना हो गया;
फिर भी राज अपने दिल का उससे हर बार छिपाया हूँ।
उससे कैसे कहूँ ‘निश्छल’अपने दिल की हकीकत;
बड़ी उहापोह में आजकल जीता हूँ।
By-ANIL KUMAR “निश्छल”