उसकी मुस्कराहट के , कायल हुए थे हम
उसकी मुस्कराहट के , कायल हुए थे हम
यूं ही नहीं मुहब्बत में , घायल हुए थे हम
चाहा था हमने उनको, पूजा था हमने उनको
यूं ही नहीं आशिक़ी के , कद्रदान हुए थे हम
फूलों की , की थी बारिश , उनके क़दमों में हमने
यूं ही नहीं उन्हें मुहब्बत का खुदा, क़ुबूल किये थे हम
लगाए थे हमने चक्कर , गलियों में उनकी हजारों
यूं ही नहीं दो पल दीदार की आरज़ू लिए , जिए थे हम
कोशिश थी हमारी क़दमों में उनके, हजारों खुशियाँ बिखेर दें
यूं ही नहीं आशिक़ी में, रुसवा हुए थे हम
पाकर उन्हें हमारी ख़ुशी का ठिकाना न था
यूं ही नहीं इश्क को , जूनून किये थे हम
आरज़ू थी उनके पहलू में , चंद रातें गुजर हो जाएँ
यूं ही नहीं इश्क का जाम , पिए जा रहे थे हम
किनारा कर लिया उन्होंने, दिया गम जुदाई का
यूं ही नहीं वफ़ा का दम , भरे जा रहे थे हम
उसकी मुस्कराहट के , कायल हुए थे हम
यूं ही नहीं मुहब्बत में , घायल हुए थे हम
चाहा था हमने उनको, पूजा था हमने उनको
यूं ही नहीं आशिक़ी के , कद्रदान हुए थे हम