उसकी आंखों में मैंने मोहब्बत देखी है,
उसकी आंखों में मैंने मोहब्बत देखी है,
प्यार ना हो जाए कहीं, मैंने ये आफ़त देखी है।
वो कहता नहीं है कुछ मगर मैंने,
उसकी निगाहों में अजीब सी शरारत देखी है।
रपट भी लिखाए तो कैसे भला हम उसके खिलाफ,
हमने उस बदमाश के दिल में शराफ़त देखी है।
क्यों मान लें दिल की बात को ऐसे ही,
इश्क में हमने आशिको की हालत देखी है।
फैसले अपने हक़ में नहीं होते कभी प्यार की कचहरी में,
न होते कभी हमने जमानत देखी है।