उसका काम तमाम करता हूॅं !
उसका काम तमाम करता हूॅं !
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किसी तरह उसका काम तमाम करता हूॅं !
ये सुनहरी शाम आज अपने नाम करता हूॅं !
वैसे तो कभी किसी का बुरा मैं नहीं चाहता !
पर हार को जीत में बदलने का काम करता हूॅं !!
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 23-08-2021.
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