#उल्टा_पुल्टा
#उल्टा_पुल्टा
■ कोई चुनाव आने को है
【प्रणय प्रभात】
“जुगनू के चरणों में तारे
तारों की स्तुति चाँद करे।
चंदा के पग धोए सूरज
सूरज के पग यह सृष्टि गिरे।
जब सब कुछ उल्टा-पुल्टा हो
हर इक मर्यादा कुलटा हो।
ये समझो तम छाने को है।
कोई चुनाव आने को है।।
सब विधि-विधान आले रख के
वृष-सिंह नहाएं एक घाट।
जब सर्प-नेवले आपस में
साझा करते हों एक खाट।
मत आंखों पर संशय करना
अपने मानस में तय करना।
पिक काग संग गाने को है।
कोई चुनाव आने को है।। ”
■संपादक/न्यूज़&व्यूज़■
श्योपुर (मध्यप्रदेश)
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#पुनश्च:
विषय विराट है और रचना अन्तहीन। विरोधाभास की एक-एक मिसाल एक-एक नए पद को जन्म दे कर कविता को विस्तार देने का दम रखती है।