उलझन
कैसी उलझन में फंसी है ज़िन्दगी कैसे कहूं।
वक्त के ताने अरे देखो भला कब तक सहूं।।
कब तलक देखूं बता खामोश तेरा रास्ता।
उम्र ढलती जा रही है अब मैं चुप कैसे रहूं।।
कैसी उलझन में फंसी है ज़िन्दगी कैसे कहूं।
वक्त के ताने अरे देखो भला कब तक सहूं।।
कब तलक देखूं बता खामोश तेरा रास्ता।
उम्र ढलती जा रही है अब मैं चुप कैसे रहूं।।