” उर आनंद समाता रहा है ” !!
गीत
देख मनोहर तेरी छवि को ,
उर आनंद समाता रहा है !
तू ही प्राणाधार बना है ,
मन को तू ही लुभाता रहा है !!
कोटि जतन से पाया तुझको ,
मन्नत के धागे बाँधें हैं !
एहसासों से खूब बंधी हूँ ,
अब आया मेरे काँधे है !
आज तपस्या का फल पाया ,
हलचल खूब मचाता रहा है !!
एक हँसी पर वारी जाऊँ ,
न्यौछावर सारा जीवन है !
किलकारी जब जब देता है ,
गूंज उठे सारा मधुबन है !
निरखत निरखत जी न भरे है ,
नींदें मेरी उड़ाता रहा है !!
उबटन से नहलाऊं तुझको ,
काजल काढू , खूब सवारूँ !
नून मिर्च है , सुबह शाम तो ,
रोज बलैया भी ले डारूँ !
तू मेरी आँखों का तारा ,
पल पल मुझको भाता रहा है !!
तू हँस दे तो , मैं मुस्काउं ,
तू रोये तो आँख में पानी !
तू आया जबसे लगता है ,
शुरू हुई है मेरी कहानी !
ममता क्या है अब जानी हूँ ,
पल पल मुझे नचाता रहा है !!
पुष्प सरीखा सुरभित जीवन ,
तू पा जाये मैं यह चाहूँ !
काँटें सारे चुन लूँगी मैं ,
मिट जाऊँ यह धर्म निभाऊं !
अभिलाषाएं तुझ पर वारूँ ,
तू तो मुझे हर्षाता रहा है !!
स्वरचित / रचियता :
बृज व्यास
शाजापुर ( मध्यप्रदेश )