उम्र के उस पड़ाव पर पहुंचे जब किसी के साथ की बेहद जरूरत होती
उम्र के उस पड़ाव पर पहुंचे जब किसी के साथ की बेहद जरूरत होती है
जब परिवार के बीच हंसी खुशी के साथ आंखें ये नम होती है
सारी उम्र कमाने और घर बनाने में बीत गई
ख्याल खुद का कभी किया नहीं
सबके लिए जिए हमेशा जो उसने ख़ुद के लिए कभी एक पल जीया नहीं
ना जाने कब वो कमाने की उम्र से बोझ तले दबने लगे
ना जाने कब उनकी आवाज़ से लेकर वो ख़ुद अपने बच्चों की आंखों में खटकने लगे
वो बच्चों के सब नखरे उठाते है लेकिन बच्चे माता पिता को संभाल नहीं पाते
छोड़ आते हैं उन्हें वृद्धाआश्रम उनका खयाल रख नहीं पाते
चार चार बच्चों को अकेले संभालने वाले माता पिता वृद्ध अवस्था में अकेले रह जाते है
बीता दी जिनके लिए अपनी सारी उम्र वो चुप चाप सब गम सह जाते है
उस पल भी बच्चों की खुशी के लिए वो घर से निकल जाते है
जाते जाते दुआओं से उनका घर भर जाते है
आसान नहीं अपने परिवार से दूर जाना लेकिन अपने बच्चों की खुशी के जाना पड़ता है
चाहे वक्त का हर लम्हा उनसे बेरहमी से लड़ता है।
हिम्मत नहीं हारते वो माता पिता जिनके बच्चे उन्हें वृद्धा आश्रम छोड़ आते है
वो तो चाहते है अपने बच्चों की खुशी
इसलिए हंसते हंसते सबसे नाता तोड आते हैं
सबसे नाता तोड़ आते हैं।
Rekha khichi