उम्मीद
हो मुताबिक तेरे वो मिलता कहां।
आइना भी हकीकत बताता कहां।।
मेहनत से तुझको मिलेगी फतह।
किस्मत से सब कुछ मिलता कहां।।
चलते चलते उमर ये गुजरती गई।
वक्त एक दरिया है रुकता कहां।।
शबनम से तरबतर सजर हो गए।
बे वजह कोई खुद को भिगाता कहां।।
परवाज़ आसमां की करके देख लो।
हौसलों के बिना कोई उड़ता कहां।।
सजदे में कितने झुके सिर मगर।
दुआ सबकी मुक्कमल वो करता कहां।।
टूटकर आइना जार जार हो गया।
दिल दरका किसी को दिखता कहां।।
उमेश मेहरा
गाडरवारा (एम पी)