उम्मीद
‘उम्मीद’
कल की सबसे अच्छी तैयारी क्या हो सकती है? आज अपना सर्वश्रेष्ठ देना शुरू कर दें।
अभ्यास से अपने शरीर व मन का ऑपरेटिंग सिस्टम बदल सकते हैं |
आदत कैसे बनती है? हमारे अवचेतन में चल रहे विचार, व्यवहार, इमोशन आदि को बार-बार दोहराने से कोई काम आदत बन जाता है। आदत ऐसी चीज है कि शरीर को दिमाग से पहले पता चल जाता है कि अब क्या करना है। लोग सुबह उठकर समस्याओं के बारे में सोचने लगते हैं, ये मुश्किलें दिमाग में पहले से ही मौजूद होती हैं। दिन ऐसे शुरू करते हैं, जिसकी कल्पना पहले ही कर चुके होते हैं। अच्छी या बुरी 35 साल की उम्र नजरिए से निर्मित हो चुका होता है, ये कम्प्यूटर प्रोग्राम की तरह है। ऐसे में जो 5% गुंजाइश बची होती है, उसमें अगर सकारात्मक बदलाव की कोशिश करें, तो शरीर नकार देता है। पर बदलाव मुमकिन है। यहां मेडिटेशन की भूमिका आती है। मेडिटेशन से दिमागी सेल्स बदल सकती हैं, मन के ऑपरेटिंग सिस्टम में प्रवेश कर सकते हैं। जिस क्षण बदलाव का सोचेंगे, दिमाग व शरीर असहज होगा, पर अभ्यास से बदलाव हो सकता है। शरीर अवचेतन मन की तरह है। उदाहरण के लिए सोचें कि भविष्य की किसी मुश्किल पर फतह हासिल कर रहे हैं, शरीर उस बारे में नहीं जानता, लेकिन उसके लिए तैयार होने लगेगा। ये एक तरह से रिहर्सल है। दिमाग को नहीं पता कि आप वाकई अनुभव कर रहे हैं या कल्पना में हैं। जिस क्षण अच्छा सोचना शुरू कर देते हैं, कहीं न कहीं उसके साकार होने की शुरुआत हो जाती है।