‘उम्मीद’
तुम आओगी इक शाम
बडी़ उम्मीद है..
होंगे कुछ पल तेरे नाम
बडी़ उम्मीद है..
भर जाएगा खेत-खलिहान
बडी़ उम्मीद है..
ख्वाहिश होगी पूरी नादान
बडी़ उम्मीद है..
महकेगा अपना ज़हान
बडी़ उम्मीद है..
होगी अपनी भी शान
बडी़ उम्मीद है..
होगी तुम से भी पहचान
बडी़ उम्मीद है..
छलकेगा फिर नहीं जाम
बडी़ उम्मीद है..
बनोगी मेरी मेहमान
बड़ी उम्मीद है..
होंगे पूरे कुछ अरमान
बड़ी उम्मीद है..
तुम आओगी इक शाम
बडी़ उम्मीद है..