‘ उम्मीद ‘
अम्माँ मुझे इसके साथ नही जाना ” ये काली है ” पाँच साल का छोटा भाई लगातार चिल्ला रहा था उसकी दो साल बड़ी बहन सीमा उसको देख रही थी लेकिन समझ नही पा रही थी की वो ऐसा क्यों बोल रहा है सब तो कहते हैं की मेरा रंग गेहूँ के रंग जैसा है और गेहूँ का रंग तो काला नही होता और तो और शीशा भी यही कहता है ।
सालों बीत गये सीमा की शादी हुई वो विदा हो कर ससुराल आई दूसरे दिन सासू बोलीं ये देखो ऐसी साँवली लड़की ब्याह कर लाया है मेरा बेटा…सीमा सोचने लगी ” चलो यहाँ काली से साँवली तो हुई ” उम्मीद है थोड़े दिन बाद मैं अपने असली रंग मेें आ जाऊँगींं…सासू की बात का उसे ज़रा भी बुरा नही लगा वो तो खुशी से आने वाले उस दिन के इंतज़ार करनेे लगी ।
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 23/07/2020 )