उम्मीद से भरा
छोटे छोटे सपने मेरे,
पलकों में अब ठहरने लगे,
उम्मीदों का दामन थाम कर,
हकीकत में जीने लगे।_ डॉ. सीमा कुमारी ,बिहार, भागलपुर
दिनांक-12-4-022की मौलिक एवं स्वरचित
रचना जिसे आज प्रकाशित कर रही हूं।