उम्मीद बाक़ी है
ना उम्मीदी में कुछ उम्मीद बाक़ी हैं
राख हुए शोलों में आग बाक़ी है
कितने भी चुक गये हम, फिर भी
अभी जवानी का, खुमार बाक़ी है
मजबूरियाँ रहीं होंगी लौट जाने की
तय जो रास्ता किया, यादें बाक़ी हैं
लगा तो ये था, ख़त्म हुआ है रस्ता
वहम था, अभी सफ़र बहुत बाक़ी है
डा राजीव “सागरी”